1977 में दो कर्मचारियों से शुरू करनेवाली केरल की कंपनी वी-गार्ड इंडस्ट्रीज अब 1300 से ज्यादा कर्मचारियों की कंपनी बन चुकी है। पहले केवल वोल्टेज स्टैबलाइजर बनाती थी। अब पम्प, मोटर, इलेक्ट्रिक वॉटर हीटर, सोलर वॉटर हीटर, केबल, सीलिंग फैन व डिजिटल यूपीएस तक बनाती है। पहले अकेली इकाई कोयंबटूर में थी। अब इसकी चार उत्पादन इकाइयां हैं। दो कोयम्बटूर में, एक उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में और एक हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले में। देश भर में, यहां तक पूर्वोत्तर तक उसका वितरण नेटवर्क है। करीब 200 डिस्ट्रीब्यूटरों और 9500 रिटेलरों के तंत्र के जरिए लगभग पांच करोड़ ग्राहकों तक उसकी पहुंच है।
इस कंपनी में हमने निवेश की सिफारिश सबसे पहले 1 जुलाई 2010 को थी। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 102 रुपए के आसपास चल रहा था। तब से लगातार यह बढ़ता ही रहा है। चार महीने बाद नवंबर 2010 में 215 रुपए तक चला गया था। 21 जुलाई 2011 में 240.80 रुपए तक चला गया। उसके बाद गिरा तो 20 दिसंबर 2011 को 141.25 रुपए तक चला गया। यही इसके 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर है। सोचिए न्यूनतम स्तर पर भी यह शेयर करीब डेढ़ साल में लगभग 40 फीसदी ऊपर है। फिलहाल ऊंच-नीच के दौर से गुजरता हुआ कल यह बीएसई (कोड – 532953) में 180.55 रुपए और एनएसई (कोड – VGUARD) में 181.45 रुपए पर बंद हुआ है।
इस भाव पर दो साल से कम वक्त में 75 फीसदी से ज्यादा रिटर्न! यह है जांच-परख करके अच्छे संभावनामय शेयरों को चुनने का प्रतिफल। जीवन का वो सामान्य नियम शेयर बाजार के निवेश पर भी लागू होता है जो कहता है कि गहरे डूबोगे तो मोती पाओगे, छिछले तैरोगे तो झाग ही हाथ लगेगा। हमने वी-गार्ड के साथ ही 1 जुलाई 2010 को चलते-चलते छिछले तौर पर यूनिवर्सल केबल का भी जिक्र किया था। वह शेयर तब 85.50 रुपए था। हालांकि वो उसी महीने 115 रुपए तक चला गया। लेकिन फिर झाग उतरता गया। फिलहाल कल उसका शेयर बीएसई में 7.63 फीसदी बढ़ने के बावजूद 40.90 रुपए पर बंद हुआ है। किसी के कहने पर हमने उसी दिन सूर्यचक्र पावर का भी उल्लेख किया था, जिसके बारे में कुछ न कहा जाए तो बेहतर है। मित्रों! निवेश एक यात्रा है जिसमें चलने के साथ-साथ बराबर सीखते रहने की जरूरत है।
सवाल उठता है कि क्या वी-गार्ड इंडस्ट्रीज में वर्तमान स्तर भी निवेश करना अच्छा रहेगा? चार-पांच साल के नजरिए से निश्चित रूप से अब भी इसमें निवेश किया जा सकता है। जो पहले से इसमें हैं, उन्हें बने रहना चाहिए। हां, 300 रुपए के ऊपर पहुंच जाए तो जरूर मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए। असल में इस स्टॉक और कंपनी में अब भी काफी संभावनाएं हैं। कंपनी ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 726.62 करोड़ रुपए की बिक्री पर 42.64 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में दिसंबर 2011 तक के नौ महीनों में उसकी बिक्री 42 फीसदी बढ़कर 715.96 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 11.33 फीसदी बढ़कर 31.63 करोड़ रुपए हो गया।
दिसंबर 2011 तक के बारह महीनों में कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 14.41 रुपए है और उसका शेयर इस समय 12.69 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है, जिसे निवेश का वाजिब स्तर माना जा सकता है। खासकर उस कंपनी के लिए जो लगातार बढ़ रही है। पिछली पांच तिमाहियों में कंपनी की बिक्री औसतन 46 फीसदी और परिचालन लाभ 26 फीसदी की दर से बढ़ा है। पिछले तीन सालों की बात करें तो कंपनी की बिक्री 36.68 फीसदी और शुद्ध लाभ 35.59 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। कंपनी का नियोजित पूंजी पर रिटर्न 26.73 फीसदी और नेटवर्थ या इक्विटी पर रिटर्न 27.21 फीसदी है।
फिर, कंपनी ने उत्पादन प्रक्रिया से लेकर वितरण तंत्र के बारे में आईबीएम ग्लोबल और एचपी के साथ मिलकर ऐसी व्यस्थाएं की हैं, जिससे उसका लागत खर्च घट जाएगा। मतलब, कंपनी ने लाभ मार्जिन बढ़ाने के पुख्ता इतज़ाम कर लिए हैं। एक बात और आपने नोट की होगी कि वी-गार्ड इंडस्ट्रीज आईपीएल की टीम कोच्चि टस्कर्स की ऑफिशियर पार्टनर है जिसका इस्तेमाल कंपनी ने अपनी ब्रांड इक्विटी बढ़ाने के लिए किया है। ऐसे में वी-गार्ड इंडस्ट्रीज में मौजूदा स्तर पर भी निवेश का मजबूत योग बनता है।
कंपनी की 29.85 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 67.34 फीसदी है, जबकि एफआईआई ने इसके 6.87 फीसदी और डीआईआई ने 2.43 फीसदी शेयर ले रखे हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 23,887 है। इसमें से 22,800 यानी 94.45 फीसदी एक लाख से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के 14.08 फीसदी शेयर हैं। कंपनी बराबर हर साल लाभांश देती रही है। पिछले साल उसने दस रुपए पर 3.50 रुपए यानी 35 फीसदी का लाभांश दिया था।