केआरबीएल दो भाइयों खुशी राम व बिहारी लाल द्वारा 1889 में ल्यानपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान) में बनाई गई कंपनी है। इंडिया गेट बासमती चावल आपने दुकानों में देखा होगा। वो इसी का ब्रांड है। कंपनी खुद को दुनिया का सबसे बड़ी राइस मिलर और बासमती चावल की सबसे बड़ी निर्यातक बताती है। क्रिसिल रिसर्च ने करीब डेढ़ महीने पहले अपनी रिपोर्ट में केआरबीएल का उचित मूल्य 34 रुपए बताया था। लेकिन वह तब भी 24 रुपए पर था और अब भी बीएसई में उसके शेयर का भाव 24.50 रुपए चल रहा है, वह भी तब जब कल इसमें 3.81 फीसदी बढ़त दर्ज की गई है।
केआरबीएल के शेयर का अंकित मूल्य 1 रुपए है। इसी साल 12 फरवरी से पहले तक यह 10 रुपए का था और उसी दिन से इसे एक-एक रुपए के दस शेयरों में बांट दिया गया। कंपनी जीडीआर (ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट्स) भी जारी कर चुकी है, जिन्हें दो दिन पहले ही 14 जुलाई को लक्जमबर्ग स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट कराया गया है। उसने वित्त वर्ष 2009-10 में 1582.06 करोड़ रुपए की आय पर 107.12 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है और उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 4.41 रुपए है। इस तरह उसके शेयर का पी/ई अनुपात केवल 5.56 निकलता है। कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू 20.56 रुपए है।
जाहिर है, खुशी राम बिहारी लाल (केआरबीएल) की बनाई इस कंपनी के शेयरों में निवेश कोई महंगा सौदा नहीं है। कंपनी की 24.31 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 56.74 फीसदी है। बाकी 4.37 फीसदी शेयर एफआईआई और 2.12 फीसदी शेयर घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) के पास हैं। रिलायंस कमोडिटीज डीएमसीसी ने पब्लिक के हिस्से के तहत इसकी 9.42 फीसदी इक्विटी खरीद रखी है। क्रिसिल की स्वतंत्र इक्विटी रिसर्च की बात मानें तो इसका शेयर 34 रुपए तक जाना चाहिए। कब तक? जाहिर है कुछ महीने तो लगेंगे ही। वैसे इस बार मानसून अच्छा है। धान की रोपाई भी ज्यादा हुई है। केआरबीएल को इसका फायदा मिलना चाहिए।
हां, एक बात और। एनएसई और बीएसई दोनों ही स्टॉक एक्सचेंज चुनिंदा लिस्टेड कंपनियों पर इक्विटी रिसर्च रिपोर्ट अपनी बेवसाइट पर रखते हैं। ऐसा सेबी द्वारा मान्य निवेशक संगठनों के साथ 11 फरवरी 2010 को बैठक में लिए गए फैसले के तहत किया जा रहा है। बैठक में तय हुआ था कि एक्सचेंज फिलहाल 20 कंपनियों की स्वतंत्र रिसर्च रिपोर्ट उपलब्ध करवाएंगे। इसमें से कुछ की रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जा चुकी हैं। सेबी से मिली सूचना के मुताबिक बाकी की रिपोर्टें भी इसी 30 जुलाई से पहले पेश कर दी जाएंगी। एक्सचेंज यह सिलसिला आगे भी बराबर जारी रखेंगे और वे कंपनियों के चयन का आधार भी मिलकर बना रहे हैं। यह सभी रिपोर्टें अंग्रेजी में होंगी। लेकिन न-न मामा से काना मामा भला।