19वीं सदी में जॉर्ज ईस्टमैन द्वारा बनाई और दुनिया भर में कैमरों के लिए मशहूर अमेरिकी कंपनी कोडक अपनी अंतिम सांसें गिन रही है। उसने अमेरिकी प्रशासन से खुद को दीवालिया घोषित किए जाने की फरियाद की है। वैसे, कोडक की भारतीय शाखा कोडक इंडिया ने कहा है कि मूल कंपनी की दीवालियेपन की अपील से उसके कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
अगर अमेरिकी कंपनी की फरियाद मान ली गई तो उसे लेनदारों का बकाया चुकाने और खुद को बदलने के लिए ज्यादा मोहलत मिल जाएगी। कंपनी की तरफ से यह अपील तब आई है जब वह अपनी हालत सुधारने की कोशिश कर रही है और चाहती है कि इस दौरान लेनदार उसे परेशान न करे।
बता दें कि कोडक 1886 में बनी करीब 126 साल पुरानी कंपनी है। वह लंबे समय से सोनी और नाइकॉन जैसे प्रतिद्वंद्वियों से परेशान रही। लेकिन उसके लिए सबसे ज्यादा सिरदर्द फ्यूजी ने पैदा किया। धीरे-धीरे रोल फिल्म्स की जगह डिजिटल कैमरों के आने से कोडक दौड़ में पिछड़ती चली गई है।
कोडक पिछले कुछ सालों से कैमरों से ज्यादा प्रिंटर बनाने पर ध्यान दे रही है। फिर भी कंपनी को लगातार नुकसान हो रहा है। कोडक के चेयरमैन और सीईओ एंटोनियो एम पेरेज़ ने दीवालिया घोषित किए जाने की अपील के बारे में घोषणा करते हुए कहा, ‘‘निदेशक बोर्ड और पूरे सीनियर स्टाफ ने सर्वसम्मति से माना है कि यह एक आवश्यक कदम है और कोडक के भविष्य के लिए एकदम वाजिब।’’
कंपनी ने सिटीग्रुप से पहले ही 95 करोड़ डॉलर की मदद सुनिश्चित कर ली है। गौरतलब है कि कंपनी के सीईओ बनने के बाद पेरेज़ ने पूरा ध्यान कैमरों से हटाकर प्रिंटरों और अन्य सामान पर लगाया है। लेकिन इसके बावजूद कंपनी को बहुत फायदा नहीं हो सका। पिछले साल कोडक अपने डिजिटल इमेजिंग के पेटेंट का कैटेलॉग तक नहीं बेच पाई थी। कोडक में फिलहाल करीब 19,000 लोग काम करते हैं, जबकि एक समय उसमें लगभग डेढ़ लाख लोग काम करते थे।