बीएएसएफ के बारे में सुबह लिखा और शाम तक वह 6.99 फीसदी बढ़कर 460.85 रुपए पर बंद हुआ। दिन में 10.25 फीसदी बढ़त के साथ ऊपर में 475 रुपए तक भी चला गया था। एकबारगी वोल्यूम भी नौ गुना हो गया। होता है, ऐसा होता है। लेकिन हमें इस चमत्कार में न पड़कर किसी शेयर में निवेश से पहले उस कंपनी की मूलभूत मजबूती देखनी चाहिए। ऐसी ही एक कंपनी है जेके टायर्स। नाम तो आपने हर हाल में सुन रखा होगा। कल इसका शेयर मामूली बढ़त के साथ बीएसई में 168.80 रुपए और एनएसई में 168 रुपए पर बंद हुआ है। एनएसई में इसके 43,192 तो बीएसई में 17,372 शेयरों का कारोबार हुआ है।
इस तरह जेके टायर्स का काउंटर लगभग ठंडा पड़ा हुआ है। तो, सबके देखने से पहले इसे ले लेना चाहिए। इसका मुख्य कारण उसका अच्छा-कामकाज है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 3691.64 करोड़ रुपए की बिक्री पर 163.47 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है और उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 39.74 रुपए है। इतने ईपीएस पर शेयर का मौजूदा पी/ई अनुपात निकलता है मात्र 4.61 जो टायर बनानेवाली प्रमुख कंपनियों में सीएट को छोड़कर सबसे कम है। सीएट के शेयर का पी/ई अनुपात 2.99 है। तो, ऑटोमोबाइल उद्योग में भरोसा हो तो सीएट को भी ले लेना चाहिए।
जेके टायर में निवेश इसलिए भी फलेगा क्योंकि उसके शेयर की बुक वैल्यू 142.74 रुपए है। कंपनी के शेयर का अंकित मूल्य 10 रुपए है। उसकी 41.06 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 46.97 फीसदी है। पब्लिक के बाकी 53.03 फीसदी हिस्से में से 30.16 फीसदी तो ऐसे दस निवेशकों के पास है जो कंपनी में एक फीसदी से ज्यादा का मालिकाना रखते हैं। इन दस में से एक एलआईसी है जिसके पास कंपनी के 4.42 फीसदी शेयर हैं। यह सदाबहार उद्योग है। गाड़ी का टायर-ट्यूब खराब हो गया तो उसकी खरीद को टाला नहीं जा सकता। कंपनी भी सॉलिड है तो निवेश करने में उतना ज्यादा जोखिम नहीं हैं।
बाकी बाजार की चर्चा-ए-खास यह है कि टाटा कम्युनिकेशंस में तीन बड़ी खबरें आनेवाली हैं जो इस शेयर को नई ऊंचाई पर पहुंचा सकती हैं। केतन पारेख पर भले ही सेबी ने बैन लगा रखा हो, लेकिन उसने अपने सहयोगियों के जरिए सीमेंट के स्टॉक्स में खरीद बढ़ा दी है। इंडिया सीमेंट चेन्नई सुपर किंग्स का 25 फीसदी हिस्सा शाहरुख खान को बेच सकती है। एचडीआईएल का शेयर नए जोन में पहुंच गया है और इसकी अगली मंजिल 300 रुपए हो सकती है। कल यह 266.40 रुपए पर बंद हुआ है।