पूंजी बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंडों को निवेशकों के बीच लोकप्रिय बनाने की ठान ली है। इसी कोशिश के तहत उसने तय किया है कि अब म्यूचुअल फंडों को निवेशकों से मिली शिकायतों का पूरा कच्चा-चिट्ठा अपनी व एम्फी (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) की वेबसाइट के साथ अपने सालाना रिपोर्ट में भी प्रकाशित करना होगा। सेबी ने एक नए सर्कुलर में यह व्यवस्था दी है। सेबी का कहना है कि उसे निवेशको के साथ ही तमाम निवेशक संगठनों की तरफ से मिले फीडबैक के बाद यह कदम उठाया है और इसका मकसद शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाना है।
सेबी का नया सर्कुलर तत्काल प्रभाव से लूग हो गया है। म्यूचुअल फंडों को बीते वित्त वर्ष 2009-10 में निवेशकों से शिकायतों का ब्योरा अपनी वेबसाइट पर 30 जून 2010 तक देना है। लेकिन आगे से वित्त वर्ष खत्म होने के दो महीने के भीतर यानी 31 मंई से पहले उन्हें यह काम कर लेना होगा। उन्हें किस रूप में यह जानकारी देनी है, उसका पूरा फॉर्मैट भी सेबी ने तैयार किया है।
म्यूचुअल फंडों को अलग-अलग बताना होगा कि शिकायतें किस मसले पर मिली हैं। यह भी कि कितनी शिकायतों को उन्होंने 30 के भीतर निपटाया, कितनी शिकायतों को 60 से 180 दिन के भीतर और कितनों को उसके बाद। हर साल का बकाया और अनसुलझी शिकायतों का विवरण भी उन्हें देना होगा। अभी तक निवेशकों की तरफ से मिली शिकायतों का ब्योरा देने की बाध्यता म्युचुअल फंडों पर नहीं थी।
असल में सेबी की सारी कोशिश यह है कि आम निवेशकों के बीच म्यूचुअल फंडों को इक्विटी बाजार में निवेश के माध्यम के रूप में लोकप्रिय बना दिया जाए। विकसित देशों में यही होता है और आम निवेशक शेयर बाजार में ज्यादातर म्यूचुअल फंडों के जरिए ही पैसा लगाते हैं। इसी कोशिश के तहत उसने पिछले साल अगस्त से म्यूचुअल फंड निवेश में कमीशन काटने या एंट्री लोड का चक्कर खत्म किया है। निवेशकों को गुमराह न किया जा सके, इसलिए उसने म्यूचुअल फंडों के विज्ञापन में सेलेब्रिटी के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है।