अगर मोदी सरकार ने अपने मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन की सलाह मान ली तो देश की मौद्रिक नीति बनाते वक्त खाने-पीने की चीजों की महंगाई को किनारे कर दिया जाएगा। यह 145 करोड़ आबादी वाले उस महादेश में होगा जो ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) के पैमाने पर दुनिया के 125 देशों में 111वे नंबर पर है, जहां भूख गंभीर समस्या है और जहां के 81.35 करोड़ लोग हर महीने सरकार से मिलने वाले पांच किलो मुफ्त राशन पर जिंदा हैं। देश में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति जुलाई 2023 से जून 2024 तक हर महीने 6.6% से अधिक रही है। जून 2024 में तो यह छह महीनों के उच्चतम स्तर 9.36% पर चली गई। उसके बाद जुलाई में घटकर 5.42% और अगस्त में फिर बढ़कर 5.66% हो गई। खुद सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) द्वारा कराए गए घरेलू खपत व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) के मुताबिक आम भारतीय पारिवारिक आय का लगभग 40-50% हिस्सा खाने-पीने की चीजों पर खर्च करता है। वित्त वर्ष 2022-23 में ग्रामीण लोगों ने अपनी आय का 46.4% और शहरी लोगों ने अपनी आय का 39.2% हिस्सा खाद्य पदार्थों पर खर्च किया। खाने-पीने की चीजों का योगदान हमारे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 45.86% है। इसे हटा देने पर महंगाई की दर और ज्यादा भ्रामक हो जाएगी। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...