सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुद्रास्फीति को काबू में रखकर ऊंची विकास दर को बराबर बनाए रखना है। यह मानना है कि हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का। उन्होंने रविवार को राजधानी दिल्ली में राज्यपालों के सम्मेलन में कहा कि हाल के महीनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों का बढ़ना चिंता का मसला है।
उन्होंने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को कम करने के लिए वित्तीय और मौद्रिक उपाय जारी रखेंगे। रिजर्व बैंक मार्च 2010 के बाद से तेरह बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है। हालांकि यह भी तथ्य है कि इन उपायों के बावजूद महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सका है। ताजा आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दर 15 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 11.43 फीसदी रही है।
प्रधानमंत्री ने आशा जताई कि सरकार 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने में सक्षम होगी। उन्होंने कहा कि हमारे विकास की रणनीति में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि इसका फायदा सभी लोगों को समान रूप से मिले। प्रगति और विकास के हमारे प्रयास तभी पूरी तरह कारगर होंगे जब हम सार्वजनिक जीवन से भ्रष्टाचार को समाप्त करेंगे और शासन की प्रक्रिया में सुधार करेंगे।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें इस दिशा में निर्णायक तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। सरकार प्रशासन से भ्रष्टाचार को खत्म करने और नागरिकों को अच्छा शासन देने के लिए प्रतिबद्ध है। संसद में लोकपाल विधेयक के अलावा भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने संबंधी एक विधेयक पेश किया जा चुका है।