हम भले ही प्रचार से उपजी धारणाओं से बंधकर स्वीकार न करें कि हमारी अर्थव्यवस्था की चमक फीकी पड़ रही है। लेकिन यह एक ऐसी हकीकत है जिसे अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। वियतनाम जैसा छोटा-सा देश हमें निर्यात के मोर्चे पर मात दे रहा है। वियतनाम की आबादी भारत की मात्र 7% है और वहां का जीडीपी भारत का 12% ही है। फिर भी वहां का वस्तु या माल निर्यात भारत के नॉन-ऑयल निर्यात के बराबर पहुंच गया है। वहां की प्रति व्यक्ति आय भारत की डेढ़ गुनी हो चुकी है। वियतनाम कंप्यूटर, मोबाइल फोन, अपैरल व फुटवेयर के निर्यात तक में भारत को पीछे छोड़ चुका है। असल में चीन की तमाम कंपनियों ने अपना उत्पादन आधार वियतनाम में शिफ्ट कर दिया है, जबकि वह भारत में अपना निर्यात भी बराबर बढ़ा रहा है। उसने सोलर पैनल से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों तक अपना वर्चस्व बना लिया है तो भारत के सामने चीनी माल आयात करने की मजबूरी है। यह सारा कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई या एफआईआई) को साफ दिख रहा है। इसलिए वो अपना फोकस भारत से हटाकर चीन व हांगकांग की तरफ ले जा रहे हैं। इसका सीधा असर शेयर बाज़ार पर पड़ रहा है। पिछले एक महीने में हमारा निफ्टी 1.5% गिरा है, जबकि चीन का शांघाई कम्पोजिट सूचकांक 2.62% और हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 8.8% बढ़ा है। अब सोमवार का व्योम…
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