सोमवार को आपने यह खबर शायद देखी होगी कि बीएसई-500 में शामिल देश की 500 बड़ी कंपनियों के पास मार्च 2011 के अंत तक 4.7 लाख करोड़ रुपए का कैश था। लेकिन अगर सभी लिस्टेड कंपनियों को मिला दें तो यह आंकड़ा 11.6 लाख करोड़ रुपए का हो जाता है। यह वित्त वर्ष 2010-11 में रहे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 48.78 लाख करोड़ रुपए का 23.78 फीसदी है।
प्रमुख ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टेड कंपनियों के पास 31 मार्च 2007 तक 5.31 लाख करोड़ रुपए का कैश या बैंक बैलेंस था। 31 मार्च 2011 तक यह रकम 11.64 लाख करोड़ रुपए हो गई। इस तरह चार सालों में कंपनियों का कैश बैलेंस 119.20 फीसदी बढ़ गया है। चक्रवृद्धि दर के रूप में यह 21.68 फीसदी सालाना की बढ़त है।
इस दौरान इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण भी 19.22 फीसदी की सालाना चक्रवद्धि दर से बढ़ता हुआ 31.41 लाख करोड़ से बढ़कर 63.45 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह वृद्धि साधारण रूप से चार साल में हुई 102 फीसदी की वृद्धि है। एसएमसी ग्लबोल के रिसर्च प्रमुख जगन्नाधन तुनगुंटला का कहना है कि असली बात यह है कि मौजूदा सुस्ती के दौर में कंपनियों अपने कैश के भंडार का क्या और कैसे इस्तेमाल करती हैं। वैसे, इस आंकड़े में यह साफ नहीं है कि कितनी रकम कंपनियों ने उधार ले रखी है और कितनी उन्होंने खुद अपने धंधे से पैदा की है।