प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन की निराशाजनक रफ्तार को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के औद्योगिक वृद्धि के अनुमान की समीक्षा करनी होगी। उल्लेखनीय है कि जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर मात्र 3.3 फीसदी रह गई है।
परिषद के चेयरमैन ने सोमवार को औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का आंकड़ा जारी होने के बाद कहा कि पूरे साल के औद्योगिक उत्पादन के अनुमान के संबंध में हमें एक या दो महीने के बाद समीक्षा करनी होगी। मैन्यूफैक्चरिंग, खनन और कैपिटल गुड्स या मशीनरी के क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण जुलाई में आईआईपी की वृद्धि दर निराशाजनक रही। दरअसल, कैपिटल गुड्स में 15.2 फीसदी की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज हुई जिससे साफ होता है कि निवेश घट रहा है।
पिछले साल जून में औद्योगिक वृद्धि दर 9.9 फीसदी थी जबकि इस साल जून में यह 8.8 फीसदी रही। लेकिन जुलाई का आंकड़ा सालाना आधार और निरंतरता दोनों ही स्तर पर निराशाजनक है। वित्त वर्ष 2011-12 के अप्रैल-जुलाई के औद्योगिक उत्पादन आंकड़ा 5.8 फीसदी रहा है, जबकि साल भर पहले यह 9.7 फीसदी रहा था।
रंगराजन ने कहा कि यह निराशाजनक आंकड़ा है। सबको उम्मीद थी कि औद्योगिक उत्पादन इससे बेहतर रहेगा। अपने आर्थिक दृष्टिकोण में पीएमईएसी ने अनुमान जाहिर किया था कि चालू वित्त वर्ष के दौरान औद्योगिक वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहेगी। सरकार ने फरवरी में अनुमान जाहिर किया था कि यह 8.6 फीसदी रहेगी। बीते वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान औद्योगिक वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही। हालांकि रंगराजन उम्मीद जाहिर की कि इस साल की दूसरी छमाही में उद्योग की वृद्धि दर अच्छी रहेगी।
उन्होंने कहा कि फिलहाल शायद आंकड़े उत्साहजनक नहीं हैं लेकिन यदि औद्योगिक उत्पादन दूसरी छमाही में बेहतर रहता है तो कुल वृद्धि दर ऊंची रहेगी। मैं कहूंगा कि एक या दो महीने बाद इसका दोबारा आकलन करना पड़ेगा। यह पूछने पर कि क्या औद्योगिक उत्पादन में कमी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान की भी समीक्षा करनी पड़ेगी, उन्होंने कहा, “औद्योगिक उत्पादन की दर उत्साहजनक नहीं दिखती और जितना हमारा अनुमान था उससे कम रह सकती है, लेकिन कृषि के हालात बेहतर रहेंगे।”
रंगराजन ने कहा कि और सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन अभी भी बेहतर रहने की संभावना है और निर्यात का प्रदर्शन अच्छा है। इसलिए सकल घरेलू उत्पादन की वृद्धि दर की समीक्षा कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र के घटनाक्रमों के परिप्रेक्ष्य में ही की जाएगी। हालिया वैश्विक घटनाक्रमों और ब्याज दरों और कच्चे माल की लागत में बढ़ोतरी के मद्देनजर वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर के अनुमान पर औपचारिक समीक्षा कर सकती है। पीएमईएसी ने चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.2 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है।