सितंबर तिमाही में जीडीपी के 7.6% बढ़ने का आंकड़ा आया तो रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 की विकास दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया। जैसे यह कहने की होड़ लगी हो कि चढ़ जा बेटा सूली पर भला करेंगे राम! किसको चढ़ा रहे हैं ये लोग? कोई इस पहले का जवाब क्यों नहीं देता कि जिस तिमाही में जीडीपी 7.6% बढ़ा है, उसी तिमाही में निफ्टी-500 कंपनियों की बिक्री मात्र 3.5% ही क्यों बढ़ी है? जब जीडीपी में लगभग 85% का योगदान करनेवाले कृषि व सेवा क्षेत्र का विकास ठंडा चल रहा हो, तब सालों-साल से मात्र 15% के योगदान पर अटके मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के विकास की बदौलत अर्थव्यवस्था को कैसे टिकाया और बढ़ाया जा सकता है? कमाल की बात बात है कि सितंबर तिमाही में 2011-12 के स्थिर मूल्यों पर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की ‘वास्तविक’ विकास दर को 13.9% बताया जा रहा है, जबकि वर्तमान मूल्य पर यह 11.2% बढ़ा है। वहीं, कृषि वर्तमान मूल्यों पर 7.2% बढ़ी है, जबकि उसकी वास्तविक विकास दर 1.2% निकाली गई है। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के लिए ऋणात्मक डिफ्लेटर (-2.7%) और कृषि के लिए धनात्मक डिफ्लेटर (+6%) कैसे? डर लगता है कि कही हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था ताश के पत्तों पर तो नहीं टिकी है? अब मंगलवार की दृष्टि…
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