हर दिन हमारे अपने शेयर बाज़ार मं डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपए इधर से उधर होते हैं। ब्रोकर समुदाय तो इस पर 0.1% का कमीशन भी पकड़ें तो हर दिन मजे से 200 करोड़ रुपए बना लेता है। लेकिन हमारे जैसे लाखों लोग ‘जल बिच मीन पियासी’ की हालत में पड़े रहते हैं। बूंद-बूंद को तरसते हैं। सामने विशाल जल-प्रपात। लेकिन हाथ बढ़ाकर पानी की दो-चार बूंद भी नहीं खींच पाते। पास जाएं तो जल-प्रपात झाग बनाकर फेंक देता है। आखिर क्यों?
हमें लगता है कि कहीं से सही टिप्स मिल जाती तो दिन के एक क्या, हज़ारों बना लेते। हम निकल पड़ते हैं सही टिप्स देनेवालों की तलाश में। एक ढूंढों, हज़ार मिल जाते हैं। लेकिन महीने में टिप्स के हज़ारों लेते भी हैं। आपकी कमाई हो न हो, आपकी बदौलत ये टिप्स देनेवाले ब्रोकरों की तरह हर हाल में मौज करते हैं। बाबाओं और ज्योतिषियों की तरह एनालिस्टों का धंधा भी सदाबहार है। न बांचनेवालों की कमी और बंचवानेवालों की कमी। हर बिजनेस चैनल पर पूछनेवालों की भरमार।
सर! मैंने फलाना शेयर, फलाने भाव पर इतने महीने या साल भर पहले लिया था, उसका क्या करूं? सामनेवाला निर्मल बाबा की तरह आपके जवाब देता हैं और आप प्रसन्न हो जाते हैं। कुछ ट्रेडिंग करनेवाले तो बाकायदा कंप्यूटर पर लाइव बिजनेस चैनल लगाकर बैठे रहते हैं कि कहीं से कोई खबर या सलाह मिले तो लपककर पकड़ लें। लेकिन तमाम ‘बगुला भगत’ मछलियों पर मछलियां पकड़े जाते हैं और हम उन्हें हर बार हाथ से निकलते देखते रहे हैं।
समस्या यह है कि हम भाग्यवादी होने की मानसिकता के साथ बाज़ार में उतरते हैं। कप्यूटर को भी सुबह ऑन करने पर नमन करते हैं। भगवान, अल्ला, गॉड को याद करते हैं कि वे हमारा मुनाफा करवा दे। यह अनिश्चितता को शांत करने के लिए विद्यार्थी द्वारा एग्ज़ाम पेपर देखने से पहले भगवान, देवी मां या गुरु को याद करने तक सीमित रहे तो ठीक क्योंकि विद्यार्थी एक मिनट आंख मूंदने के बाद भी जानता है कि वह जो लिखेगा, नंबर उसी पर मिलेंगे। भगवान उसके लिए आकर पेपर नहीं लिखनेवाला। लेकिन बाज़ार से फटाफट कमाने की सोचनेवाले आम लोग दिन भर कोई न कोई ‘भगवान’ खोजने में लगे रहते हैं।
बाज़ार में इन आस्तिक ट्रेडरों के अलावा नास्तिक ट्रेडर भी हैं। वे किसी भी भगवान को नहीं मानते। उन्हें भरोसा होता है कि एक बार टेक्निकल एनालिसिस मे पारंगत हो जाए तो वे बाज़ार में गदर काट देंगे। यहां भी उनकी अदम्य लालसा को भुनाने के लिए धंधेबाज़ घात लगाए बैठे हैं। कई वेबसाइट्स तो आपको मुफ्त में ऑनलाइन टेक्निकल एनासिसिस सिखाती हैं।
आपको लगता है कि मुफ्त की चीज़ में खोट है तो आप 10-15 हजार देकर टेक्निकल एनासिसिस सीख लेते हैं। ट्रेडिंग से फिर भी बराबर नोट नहीं बन पाते। अचानक कहीं से फिबोनाकी संख्याओं का चमत्कार पता चलता है तो आप उसके पीछे भागने लगते हैं। वहां भी पहुंचने से कुछ नहीं मिलता। भटकते-भटकते एक दिन आप थक जाते हैं।
हताशा-निराशा में आपको लगता है कि आपकी हालत रेगिस्तान में मरीचिका के चक्कर में भटकते मृग जैसी हो गई है। लेकिन हकीकत यह है कि वो समाधान आपके ही पास है जिसकी तलाश में आप दर-दर भटकते रहे हैं और स्वेच्छा से रास्ते में जगह-जगह जाल बिछाए ठगों का शिकार बन रहे हैं। कस्तूरी कुंडलि बसे, मृग ढूंढै बन माहिं। वो कस्तूरी आपके ही पास है। मुनाफे की कुंजी खुद आपके पास है। उसे पाने के लिए किसी के पास जाने की जरूरत नहीं। बस अपने अंदर से खोजकर निकालने की जरूरत है।
हां, ट्रेडिंग में कमाई के लिए आपको भावों का चार्ट देखने की ज़रूर पड़ेगी। वहां बस आपको अलग-अलग टाइमफ्रेम में (साप्ताहिक, दैनिक और कुछ दिन, कुछ घटे या कुछ मिनट) में यह देखना है कि स्टॉक ठीक आज से पहले कहां से तेज़ी से उठना या गिरना शुरू हुआ। इसे पहले की स्थिति से भी मिलाकर देखेंगे। लेकिन सबसे नया स्तर सबसे ज्यादा कारगर होता है। इसे स्टॉक के दीर्घकालिक ट्रेंड के संदर्भ में देखें। अगर वो अपट्रेंडिंग स्टॉक है तो उसे कभी शॉर्ट न करें। जब गिरते-गिरते सबसे हाल के न्यूनतम स्तर के दायरे में आ जाए तो उसे खरीद लें और ठीक पहले जहां तक गया था, वहां तक का लक्ष्य बना लें।
अगर डाउनट्रेंडिंग स्टॉक है तो उसमें कभी लांग या खरीद के सौदे न करें। वह जब बढ़ते-बढ़ते हाल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुच जाए तो उसे शॉर्ट कर दें। शॉर्ट चूंकि केवल एफ एंड ओ सूची में शामिल शेयरों को कर सकते है। इसलिए यह थोड़ा जटिल और कठिन काम है। लेकिन इसीलिए इसमें कमाई की संभावना भी ज्यादा है।
इस तरह उतार-चढ़ाव के ठीक पिछले स्तर को चार्ट पर पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है। मुश्किल काम इसके बाद आता है और वो शुरू होता है आप से। ये है भावनाओं का प्रबंधन, जिससे जुड़ा है धन का प्रबंधन और जिससे अंतिम रूप से आपके पास धन का आगम तय होता है। स्टॉप लॉस कहां लगाएं, इसकी भी बड़ी आसान पद्धति है। उसका कड़ाई से पालन करें। समय रहते बगैर ज्यादा लालच किए या घबराए सौदे काटकर निकल जाएं। आप बिना किसी की टिप्स के खुद यूं ही दस शेयर चुनकर ट्रेड करने लगेंगे और दस में सात सौदे भी गलत निकल गए, तब भी आप कमाएंगे। ऊपर बताई गई पद्धति आपको खरीद या बिक्री का सही स्तर परखने में मदद करेगी। घाटा संभालने में असली काम आपका अनुशासन करेगा।
याद रखें कि पत्थर सिर्फ और सिर्फ पत्थर होता है। उसमें शिवत्व हम-आप ही डालते हैं। अंततः असली कर्म वह पत्थर नहीं, हम करते हैं। बाकी सब तो संयोगों का खेल है और ज़िंदगी योजनाओं से कम, सयोगों से ज्यादा चलती है। इसलिए अंत में हमारा कहना है कि आपका दांव सही लगे तो वाहवाह, गलत निकले तब भी सुभान-अल्लाह। शेयर बाजार से कमाई का असली मंत्र है अपने धन और अपने मन का कुशल प्रबंधन। बाकी तो औरों का जाल है, बट्टा है, अनजान ट्रेडरों के लिए सट्टा है।