जापान से मांग टाटा के नमक की!

टाटा केमिकल्स इतने सारे रसायन बनाती है कि आम जनजीवन, खेती-किसानी और उद्योग तक इससे अछूते नहीं हैं। उर्वरक से लेकर नमक, सोडा एश, सीमेंट व बायोडीजल तक। चर्चा है कि उसे जापान से नमक का बड़ा ऑर्डर मिलनेवाला है। इस समय भूकंप व सुनामी से तबाह जापान के तमाम इलाकों में रूह कंपा देनेवाली ठंड पड़ रही है। जापान को अभी भारी मात्रा में नमक चाहिए। लेकिन उसके पास नमक के अपने स्रोत खत्म होने लगे हैं और वह तत्काल इसके आयात की कोशिश में लगा है। बाजार सूत्रों के मुताबिक इसी कोशिश के तहत टाटा केमिकल्स से भारी मात्रा में नमक खरीदने का सौदा होनेवाला है।

टाटा समूह की कंपनी टाटा केमिकल्स के बारे में ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है। आप उसकी वेबसाइट से तमाम जानकारियां हासिल कर सकते हैं। एक बात साफ है कि यह कंपनी अपने धंधे में बहुत खुलापन व तेजी अपनाती है। सोचिए, क्या कोई रसायन कंपनी दाल बेच सकती है? लेकिन टाटा केमिकल्स आई-शक्ति ब्रांड नाम से चार तरह की दालें बेचती है। लेकिन कंपनी का शेयर फिलहाल (बीएसई – 500770, एनएसई – TATACHEM) बहुत दबा-दबा चल रहा था।

दिसंबर 2010 में टाटा केमिकल्स ने जब अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी ब्रूनर मोंड के जरिए ब्रिटेन की कंपनी ब्रिटिश सॉल्ट का अधिग्रहण किया था, तब उसका शेयर 370 रुपए से बढ़ता-बढ़ता 4 जनवरी को 412 रुपए तक चला गया था। लेकिन उसके बाद यह गिरता-गिरता 309 रुपए तक जा चुका है। कल थोड़ी-सी बढ़त लेकर 318.50 रुपए पर बंद हुआ है। इसका 52 हफ्तों का न्यूनतम स्तर 295 रुपए (25 मई 2010) और उच्चतम स्तर 446.30 रुपए (27 अक्टूबर 2010) है। इस तरह इस शेयर में आराम से 40 फीसदी बढ़त की गुंजाइश है।

ए ग्रुप की कंपनी है तो भाव के हर बंधन से ऊपर है। कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू 195.52 रुपए है यानी शेयर का भाव बुक वैल्यू से मात्र 1.63 गुना है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (शुद्ध लाभ प्रति शेयर) 15.96 रुपए है और उसका शेयर अभी 19.95 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह मिड कैप या स्मॉल कैप कंपनियों के मानक के लिहाज से ज्यादा हो सकता है। लेकिन टाटा जैसे ब्रांड और विश्वव्यापी धंधे वाली कंपनी के लिए यह एक आकर्षक स्तर है। बता दें कि दिसंबर में ब्रिटिश कंपनी के अधिग्रहण से दो महीने पहले अक्टूबर में टाटा केंमिकल्स दक्षिण अफ्रीका की बायोफ्यूल कंपनी ग्रोन एनर्जी की 100 फीसदी इक्विटी खरीदने का करार कर चुकी है।

टाटा केमिकल्स का शेयर जनवरी के बाद से क्यों गिरता जा रहा है, समझ से बाहर है क्योंकि इस दौरान उसने दिसंबर 2010 की तिमाही के काफी अच्छे नतीजे घोषित किए हैं। दिसंबर 2010 की तिमाही में कंपनी की आय 15.61 फीसदी बढ़कर 1778.32 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 29.30 फीसदी बढ़कर 132.71 करोड़ रुपए हो गया है। उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 16.25 फीसदी रहा है, जबकि सितंबर तिमाही में यह 10.16 फीसदी ही था। पिछले पूरे वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी ने 5476.64 करोड रुपए की आय पर 434.78 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। हां, कंपनी 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर पिछले तीन सालों से लगातार 9 रुपए यानी 90 फीसदी लाभांश देती रही है।

कंपनी की कुल इक्विटी 254.82 करोड़ रुपए है। इसका 68.73 फीसदी हिस्सा पब्लिक और बाकी 31.27 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। टाटा समूह के साथ एक बड़ी दिक्कत यह है कि वह ऋण पर बहुत निर्भर रहता है। टाटा केमिकल्स में भी प्रवर्तकों ने अपनी हिस्सेदारी का 19.31 फीसदी भाग (कंपनी की कुल इक्विटी का 6.04 फीसदी) गिरवी रखा हुआ है। कंपनी के 13.86 फीसदी शेयर एफआईआई और 29.17 फीसदी शेयर डीआईआई के पास हैं।

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