जब बाजार में भूचाल मचा हो, बीएसई सेंसेक्स 615 का गोता लगाने के बाद संभला हो, तब मैं आपको अब कतई बाजार की तेजी के बारे में यकीन दिलाने की कोशिश नहीं करूंगा। लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि औरों के बनाए खेल के शिकार न बनें। डेरिवेटिव्स में अपने पोजिशन को होल्ड रखें, साथ ही साथ कैश सेगमेंट में खरीद जारी रखें। बाजार से एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) तबका एकदम साफ हो गया है। अब तो 5000 से 10,000 शेयरों में ट्रेड करनेवाले खिलाड़ी ही एचएनआई बन गए हैं। जाहिरा तौर पर यह स्थिति जोखिम उठानेवालों के पक्ष में है।
अब भी लगभग 65,000 करोड़ रुपए के सौदों का रोलओवर थमा पड़ा है। इसलिए बाजार में उथल-पुथल तो कायम रहेगी। क्या कहा जाए! आप और हम दोषपूर्ण व्यवस्था की कीमत चुका रहे हैं। अगर आप फ्यूचर्स व ऑप्शंस (एफ एंड ओ) में खरीद या लांग की पोजिशन में हैं तो मेरी गुजारिश है कि रोल्स के लिए गुरुवार का इंतजार मत कीजिए क्योंकि मुझे लगता है कि इस महीने भी कैरीओवर की लागत बहुत ज्यादा रहेगी।
बाजार में सारा का सारा पैसे का खेल चल रहा है जिसके दम पर आप रोलओवर के आखिरी दिन भावों को जहां चाहें, वहां तक पहुंचा सकते हैं क्योंकि सेबी की मंजूरी के बाद भी डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था अभी तक लागू नहीं की गई है। हो सकता है कि एफआईआई, डीआईआई व ऑपरेटरों जैसे तमाम निवेशकों को ज्यादा सट्टेबाजी और भावों का अंतर कैश में निपटाने की व्यवस्था रास आ रही हो जो उन्हें तुरंत का तुरंत फायदा दिला देती है और इसीलिए वे इसे बदलने के लिए आवाज नहीं उठा रहे हैं। लेकिन रिटेल निवेशकों और ट्रेडरों के लिए यह बड़ी तकलीफदेह स्थिति है। इसलिए आपको एफ एंड ओ में सौदे करते वक्त यह सच्चाई हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए।
बाजार में शानदारी वापसी के बाद करेक्शन होना लाजिमी था क्योंकि रोलओवर हो नहीं रहे हैं। हो सकता है कि कल बाजार अपनी खोई हुई जमीन फिर से हासिल कर ले। खैर, अगले दो दिन किसी तरह काट दीजिए। फिर दिसंबर शुरू हो रहा है जिसमें 35 दिन का सेटलमेंट चक्र है। निफ्टी 6500 की तरफ बढ़ सकता है। राजनीतिक अस्थायित्व है। आयरलैंड और चीन की समस्याएं जारी हैं। लेकिन भारत में जीडीपी की विकास दर अभी 8.8 फीसदी है और जल्दी ही 9 फीसदी के पार जा सकती है। सरकार ने अपनी चाहतों की सूची और वे उपाय जारी कर दिए हैं जिसमें हमारी विकास दर दहाई अंक में पहुंच सकती है।
सरकार ने घोषित किया है कि उसे एक लाख करोड़ डॉलर की जरूरत पड़ेगी। इन हालात में बाजार की दिशा हरे निशान की तरफ ही होनी चाहिए। रोलओवर तो छह दिन की प्रक्रिया है जो ऑपरेटरों, एफआईआई, डीआईआई व उनके मस्त-मलंग ग्राहकों के लिए छाछ-मलाई का इंतजाम करती है, जबकि इस दौरान आपकी भूमिका भुट्टे पर लगाए जानेवाले नींबू-नमक की तरह होती है।
कोई बात पहले हो चुकी है, इस आधार पर नई बात को काटना बहुत खतरनाक बात है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)