एचएनआई देश छोड़कर भागे जा रहे हैं तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई या एफआईआई) की मार का सामना कौन करेगा? क्या यह काम देशी संस्थागत निवेशक (डीआईआई) कर सकते हैं? कभी नहीं। आप शेयर बाज़ार में हर दिन कैश सेगमेंट में हो रही खरीद-फरोख्त के आंकड़े देखें तो पता चलेगा कि एफपीआई के साथ तो उनकी जबरदस्त जुगलबंदी चल रही है। वे खरीदते हैं तो ये बेचते हैं और इनकी खरीद को वे अपनी बिकवाली से पूरा कर देते हैं। एचएनआई इसी तरह देश छोड़कर भागते रहे तो शेयर बाज़ार में विदेशी सस्थाओं का मुकाबला करने के लिए केवल मध्यवर्ग का निवेशक ही बचेगा जो लालच व भय के ध्रुवों के बीच ही बराबर झूलता रहता है, ट्रेडिंग करके घाटे में फंस जाता है तो मजबूरन लम्बे समय का निवेशक बन जाता है, हमेशा टिप्स के चक्कर में रहता है और जिसमें शेयर बाज़ार की बुनियादी समझ का नितांत अभाव है। अब सोमवार का व्योम…
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