अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है तो याद दिला दें कि यह मजदूरों के आत्मसम्मान व मर्यादा को हासिल करने का दिन है। लेकिन वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग की बात करें तो वह भी एक ऐसा बिजनेस है जहां आपके आत्मसम्मान को हर दिन चुनौती मिलती है। बाज़ार चंद मिनट में आपको गलत साबित कर सकता है। आप उससे तर्क-वितर्क भी नहीं कर सकते। आपकी निजी धारणा या अनुमान हो सकता है। पर, बाज़ार उसकी रत्ती भर परवाह नहीं करता। उसे जो करना है, वो ही करेगा। इसलिए आप लंबे समय तक सफलता से ट्रेड करना चाहते हैं तो विनम्रता बड़ी ज़रूरी है।
अतिविश्वास जीवन के हर क्षेत्र के लिए बुरा है। लेकिन वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग के लिए तो यह बेहद खतरनाक है। इससे आपमें सुरक्षा का झूठा भाव आ जाता है। गुमान हो जाता है कि बाज़ार पर आपकी राय हमेशा सही बैठती है। इस गफलत में आप अपनी औकात से ज्यादा बड़े सौदे कर बैठते हैं। नतीजतन भयंकर घाटे के शिकार या दिवालिया तक हो जाते हैं। इस अहंकार से बचना ज़रूरी है।
इंसान होने के नाते हमारा सहज स्वभाव है कि हम हमेशा सही होना चाहते हैं और गलत होने से नफरत करते हैं। लेकिन ट्रेडिंग और निवेश की दुनिया में यह सहज स्वभाव नहीं चलता क्योंकि इसमें गलत होना और घाटा लगना पक्का है। सबसे अच्छे ट्रेडर भी समय-समय पर घाटा खाते रहते हैं। सामान्य ट्रेडर और उनमें अंतर बस इतना है कि वे घाटे को न्यूनतम और मुनाफे को अधिकतम रखना जानते हैं।
मानकर चलें कि वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में घाटे से कभी नहीं बचा जा सकता। लेकिन हम उसे कम से कम ज़रूर रख सकते हैं। इसके लिए रिस्क को न्यूनतम करना होता है। प्रोफेशनल ट्रेडर ऐसा करने के वास्ते स्टॉप-लॉस ही नहीं, पोजिशन साइज़िंग जैसे कई तरीके अपनाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वे न तो घाटे से विचलित होते हैं और न मुनाफा कमाने पर कुलांचे भरते हैं।
वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में केवल चार संभावनाएं होती हैं: बड़ी जीत, छोटी जीत, छोटा घाटा और बड़ा घाटा। अगर कोई ट्रेडर बड़े घाटे से बचता रहे तो बाकी तीन स्थितियों में पूरी तरह सही-सलामत रहता है। उसकी ट्रेडिंग पूंजी सलामत रहती है और वो अपने सिस्टम व अनुशासन के बल पर ज्यादा नहीं तो बराबर थोड़ा-बहुत मुनाफा कमाता रहता है। अच्छे रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात वाले सौदे चुने तो उसका मुनाफा बढ़ जाता है।
गांठ बांध लें कि शेयर बाज़ार में वही ट्रेडर बराबर मुनाफा कमाते हैं जो किसी स्टॉक में मांग व सप्लाई के असंतुलन को सही ढंग से पकड़ पाते हैं। यह असंतुलन हमारे-आप जैसे रिटेल ट्रेडरों की खरीद-बिक्री से नहीं, बल्कि बैंक, वित्तीय संस्थाओं व हाई नेटवर्थ व्यक्तियों की चाल से बनता है। उस्ताद ट्रेडर इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस से इतर तरीके अपनाते हैं। वे उस स्टॉक के फ्यूचर्स के बदलते ओपन इंटरेस्ट पर भी ध्यान देते हैं।
एकांगी सोच से जीवन में कभी सफलता नहीं मिलती। वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में भी अगर आप केवल अपनी सोचेंगे तो सफल नहीं होंगे। बराबर समझने की कोशिश करें कि अगर आप खरीदने पर आमादा हैं तो सामने कौन है जो बेचने को आतुर है। दोनों को क्यों ऐसा करने में फायदा दिखता है! ध्यान रखें कि बाजार में हमेशा उन लोगों का धन जानकार लोगों के बैंक खातों में जाता है जो नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं। इसलिए वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में उतरने के साथ उसके हर पहलू को बारीकी से समझना ज़रूरी है। तभी आपकी ट्रेडिंग पूंजी सुरक्षित रह सकती है और आपकी धन-दौलत बराबर बढ़ सकती है।