आखिर भारत की लक्षित ऊंची विकास दर का विकास-पथ क्या है या होना चाहिए? बराबर लम्तड़ानी करनेवाली मोदी सरकार से इसके ठोस व कारगर जवाब की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए क्योंकि उसके पास न तो भारत को विकसित बनाने की नीयत है और न ही नीतियां। वो केवल राजनीतिक सत्ता से चिपकी रहने के लिए इस नारे को जुमला बनाकर उछालती जा रही है। विकसित भारत बनाने का रास्ता वो भी नहीं है जिसकी सिफारिश विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) करते रहे हैं। वे कहते हैं कि विकसित बनने के लिए राजकोषीय अनुशासन का पालन करो. व्यापार व फाइनेंस को उदार बनाओ, निजीकरण करो, बाजार खोलो और प्रतिस्पर्धा बढ़ाते रहो। लेकिन ‘वॉशिग्टन कन्सेंसस’ के नाम से मशहूर इन कदमों को लागू करके आज तक कोई भी देश विकसित नहीं बना है। पिछले साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतनेवाले तीन में से दो अर्थशास्त्रियों दारोन एसमोग्लु और जेम्स रॉबिन्सन ने अपनी किताब ‘Why Nations Fail’ में लिखा है कि मजबूत समावेशी राजनीतिक व आर्थिक संस्थाओं से ही विकास सुनिश्चित होता है पर भारत में ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के बावजूद सरकार व सत्ता का स्वभाव निचोड़नेवाला है और संस्थाएं बेहद कमज़ोर हैं। ऐसे में भारत विकास की अंतर्निहित संभावना नहीं हासिल कर सकता। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...