वित्त मंत्रालय से लेकर पूरी सरकार को चिंता सताए जा रही है कि कहीं ब्याज दरें बढ़ने से देश की आर्थिक व औद्योगिक विकास दर और धीमी न पड़ जाए। इसलिए वे चाहते थे कि ब्याज दरें अब न बढ़ाई जाएं। लेकिन ऊपर-ऊपर मंत्री से लेकर सलाहकार तक रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर बढ़ाने का समर्थन कर रहे हैं।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को रेपो व रिवर्स रेपो दरों में 0.25 फीसदी वृद्धि के बाद कहा कि यह वित्त वर्ष 2011-12 की पहली छमाही की मौद्रिक धारणा के अनुरूप है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे मुद्रास्फीति पर काबू पाया जा सकेगा और साल की दूसरी छमाही में आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी वृद्धि के फैसले को सही बताते हुए कहा है कि रिजर्व बैंक के पास कोई और विकल्प नहीं था। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने याद दिलाया कि जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 3.3 फीसदी पर आ गई है। लेकिन उनका कहना है कि फिलहाल ब्याज दरों को थामना जरूरी है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह अहलूवालिया ने भी रिजर्व बैंक के फैसले का समर्थन किया है। हालांकि उद्योग जगत इससे खुश नहीं है।