केद्रीय श्रम मंत्रालय नौकरियों की जानकारी देने के लिए खुद अपनी बेवसाइट शुरू करने पर विचार कर रहा है। देश में कार्यरत तकरीबन 1000 रोजगार केंद्र इस वेबसाइट से जुड़े होंगे और उनका सारा डाटा ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा। सरकार की इस पहल से नौकरी डॉट कॉम जैसे तमाम निजी पोर्टलों को तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
मालूम हो कि इस समय सरकारी रोजगार केंद्रों या एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंजों में करीब चार करोड़ बेरोजगार पंजीकृत हैं और इनमें हर साल लगभग 50 लाख का इजाफा हो जाता है। लेकिन रोजगार केंद्र अमूमन बेरोजगारों की कोई मदद नहीं कर पाते। उनका सारा कामकाज कागजों व फाइलों में सिमटा है। स्थानीय स्तर पर तो वे नियोक्ता और बेरोजगार के बीच सेतु बना देते हैं। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा नहीं हो पाता।
अब श्रम मंत्रालय ने सभी रोजगार केंद्रों के आधुनिकीकरण और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जोड़ने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बनाया है। इस कार्यक्रम के लिए 2167 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं। मंत्रालय उद्योग के सहयोग से ऐसा तंत्र बनाने की कोशिश में है जहां देश भर के नियोक्ताओं और नौकरी खोजनेवालों में मेल बैठाया जा सके। इसी सिलसिले में अलग से पोर्टल बनाने का प्रस्ताव है। मजे की बात यह है कि इधर मंत्रालय की इस पहल की चर्चा शुरू हुई, उधर किसी से खटाक से Indiajob.com का डोमेन छेंककर रख दिया जिसे वह बेचना चाहता है।
श्रम मंत्रालय ने नौकरियों की मांग व आपूर्ति को जोड़ने के लिए पूरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली है जिसे वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की मंजूरी मिलनी बाकी है। बता दें कि इस समय कानूनन सरकार और 25 से ज्यादा लोगों को काम पर रखनेवाली निजी फर्मों/कंपनियों को हर तिमाही अपने यहां बनी वैकेंसी की जानकारी स्थानीय रोजगार कार्यालय में देनी होती है। लेकिन इस पर 70 से 75 फीसदी ही अमल हो पाता है। मंत्रालय को लगता है कि राष्ट्रीय पोर्टल बनने से सभी को आसानी हो जाएगी।
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