आकांक्षा से भरे भारत के लिए 1947 तक देश को विकसित बनाने का सपना और मतपत्रों से सत्ता में बैठने का लाइसेंस पाने के लिए 81.35 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन। जिसे भी कोई गुरेज हो तो उसे सब्सिडी देकर चुप करा दो। वित्त वर्ष 2013-14 में सरकार ने खाद्य, खाद व ईंधन पर कुल 2,44,717 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी थी। उसके बाद अच्छे दिन का नारा लेकर सत्ता में आई मोदी सरकार के शासन में अर्थव्यवस्था पर सब्सिडी का बोझ बढ़ता गया। बीते वित्त वर्ष 2022-23 में यह बोझ दोगुने से भी ज्यादा 5,30,959 करोड़ रहा है। अब अगले पांच साल तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर 11.80 लाख करोड़ रुपए खर्च होने हैं। आखिर कहां से आएगा इतना धन? जनता के टैक्स या सरकारी उधार से जिसे सत्ता में बैठे राजनीतिक दल को नहीं, अंततः जनता को ही चुकाना पड़ता है। 2013-14 से 2022-23 के बीच हमारा जीडीपी 1.87 ट्रिलियन डॉलर से दो गुना होकर 3.75 ट्रिलियन डॉलर हो गया। लेकिन इसी दौरान देश पर प्रति व्यक्ति ऋण ढाई गुना से ज्यादा बढ़कर ₹43,124 से ₹1,09,373 हो गया। भारत सरकार पर अभी 155.60 लाख करोड़ रुपए का आंतरिक और 621.9 अरब डॉलर (करीब 52 लाख करोड़ रुपए) का विदेशी ऋण है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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