केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र को अब तक का सबसे बड़ा उपहार दिया है, वह भी बजट से बाहर। शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की राजधानी दिल्ली नहीं, बल्कि गोवा की राजधानी पणजी में शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में इस तोहफे या प्रोत्साहन उपाय की घोषणा की। इसके तहत कॉरपोरेट क्षेत्र को कुल 1.45 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया है। मकसद साफ है कि अर्थव्यवस्था में छाई निराशा और शेयर बाज़ार में छाई पस्ती को दूर किया जाए। शेयर बाज़ार सरकार की अप्रत्याशित घोषणा के बाद बल्लियों उछल गया।
वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि अगर कोई कंपनी विशेष कर रियायत नहीं देती तो उसे चालू वित्त वर्ष 2019-20 से 22 प्रतिशत ही कॉरपोरेट टैक्स देना पड़ेगा। सरचार्ज जोड़ने के बाद उसके टैक्स की प्रभावी 25.17 प्रतिशत बनेगी। वहीं, अगर कोई नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी है तो उसे 15 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स ही देना पड़ेगा। ऐसी कोई भी नई घरेलू कंपनी जो 1 अक्टूबर 2019 या उसके बाद स्थापित हुई हो, उसके 15 प्रतिशत की दर से टैक्स चुकाने का विकल्प होगा। यह लाभ उन कंपनियों को मिलेगा जो किसी तरह की छूट/प्रोत्साहन का लाभ नहीं उठातीं और उनका उत्पादन 31 मार्च, 2023 या उससे पहले शुरू हो जाएगा। सरचार्ज और उपकर मिलाकर इन कंपनियों के लिए प्रभावी कर की दर 17.01 प्रतिशत होगी। ऐसी कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) भी नहीं देना होगा।
अभी तक 400 करोड़ रुपए से ज्यादा बिक्री वाली कंपनियों को 30 प्रतिशत और नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को 25 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स देना पड़ रहा था। इसमें सरचार्ज शामिल नहीं था। नए फैसले के मुताबिक अगर कोई कंपनी रियायती कर व्यवस्था का विकल्प नहीं चुनती है और कर छूट/प्रोत्साहन का लाभ उठाती है, वह पूर्व-संशोधित दर पर ही कर का भुगतान करती रहेगी। हालांकि, ये कंपनियां अपने कर छूट की अवधि समाप्त होने के बाद रियायती कर व्यवस्था का विकल्प चुन सकती हैं। विकल्प चुनने के बाद वे 22 प्रतिशत की दर से टैक्स का भुगतान करने की अधिकारी होंगी। ऐसी कंपनियों जो छूट/प्रोत्साहन का लाभ उठाना जारी रखती हैं, उन्हें भी राहत देने के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) की दर को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
यही नहीं, सरकार ने कंपनियों द्वारा शेयर बायबैक करने पर टैक्स लगाने का बजट का प्रस्ताव भी वापस ले लिया है। तय हुआ है कि जिस भी कंपनी ने 5 जुलाई 2019 से पहले अपने शेयर वापस खरीदने की घोषणा कर दी थी, उन पर इस बाबत कोई टैक्स नहीं लगेगा। सरकार ने शेयरों की बिक्री से हुए कैपिटल गैन्स पर सरचार्ज लगाने का फैसला भी पूरी तरह वापस ले लिया है। साथ ही बढ़ा हुआ सरचार्ज विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा डेरिवेटिव्स समेत किसी भी प्रतिभूति की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर भी लागू नहीं होगा।
सरकार ने सीएसआर के तहत होने वाले 2 प्रतिशत के खर्च को विस्तार देने का भी फैसला किया है। अब 2 प्रतिशत सीआरआर राशि केंद्र या राज्य सरकार अथवा किसी एजेंसी या केद्र व राज्यों के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा वित्तपोषित इनक्यूबेटर्स पर भी खर्च की जा सकेगी। इसके साथ ही कंपनियां विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व मेडिसिन के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले सरकारी विश्वविद्यालयों, आईआईटी, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और स्वायत्त संस्थाओं (इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आईसीएआर, आईसीएमआर, सीएसआईआर, डीएई, डीआरडीओ, डीएसटी के संरक्षण में स्थापित) के लिए भी योगदान दे सकेंगी।
वित्त मंत्री निर्माल सीतारमण ने यह घोषणा करते हुए मीडिया को बताया कि शुक्रवार की सुबह ही सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए आयकर कानून में संशोधन करके उक्त प्रावधानों को लागू कर दिया है। ये कदम उद्योग के साथ बराबर साप्तहिक स्तर पर चल रही बातचीत का नतीजा हैं। उन्होंने बताया कि सरकार को अच्छी तरह पता है कि इन टैक्स कटौतियों का कितना असर राजस्व संग्रह पर पड़ेगा। उन्होंने गिनती करते बताया कि कॉरपोरेट टैक्स में दी गई नई छूट से केंद्र सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपए के टैक्स का नुकसान होगा। दूसरे शब्दों ने सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र को 1.45 लाख करोड़ रुपए का तोहफा दे दिया है।
सरकार के इस कदम की घोषणा होते ही शेयर बाज़ार में उन्माद छा गया। शाम तक लगातार चढ़े बाज़ार में बीएसई सेंसेक्स 5.32 प्रतिशत बढ़कर 38,014.62 और एनएसई निफ्टी भी 5.32 प्रतिशत बढ़कर 11,274.20 पर बंद हुआ। ऑटो और बैंकिंग क्षेत्र की कंपनियों के शेयर जमकर बढ़ गए।
पुणे में वित्त मंत्री की प्रेस कांफ्रेस के फौरन बाद फंड मैनेजर समीर अरोड़ा ने ट्वीट किया, “यह इस बार के बजट से ही नहीं, पिछले 20 बजटों से भी बड़े कदम हैं।” वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरपोरेट क्षेत्र को दी गए बम्पर राहत को भी 130 करोड़ भारतवासियों से जोड़ दिया। उन्होंने ट्वीट किया, “कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का कदम ऐतिहासिक है। यह #मेकइनइंडिया को भारी प्रोत्साहन देगा, दुनिया भर में निजी निवेश को आकर्षित करेगा, हमारे निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को सुधारेगा, ज्यादा रोजगार पैदा करेगा और 130 करोड़ भारतवासियों के लिए जीत ही जीत (विन-विन) का वाहक बनेगा।”