प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निवेश फर्म गोल्मैन सैक्श ने भारत की रेटिंग बढ़ाकर ‘मार्केट वेट’ कर दी है। पिछले साल से अभी तक उसने भारत को इससे कम ‘अंडर वेट’ की श्रेणी में रखा हुआ था। रेटिंग बढ़ाने का मतलब यह हुआ कि भारतीय शेयर बाजार को लेकर उसकी धारणा में हाल-फिलहाल थोड़े समय के लिए तेजी की हो गई है।
गोल्डमैन सैक्श ने रेटिंग बढ़ाने की वजह कच्चे तेल में आ रही गिरावट और नीतिगत सुधारों पर सरकार की तरफ से की जा रही पहल को बताया है। उसने सोमवार को जारी एक रिसर्च नोट में कहा है, “हमने भारत को एक साल तक अंडर वेट श्रेणी में रखने के बाद अब उद्योग के चक्र, कच्चे तेल की कीमतों, मूल्यांकन व नीतिगत सुधारों की वजह से अपग्रेड कर दिया है।”
यह अपग्रेड तब आया है कि जब अमेरिका व यूरोप के बढ़ते ऋण संकट के कारण भारत में आर्थिक धीमेपन की आशंका जताई जा रही थी। हालांकि गोल्डमैन सैक्श ने भी चालू वित्त वर्ष 2011-12 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.5 फीसदी से घटाकर अब 7.3 फीसदी कर दिया है। इस बाबत रिजर्व बैंक का अनुमान 8 फीसदी और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद का अनुमान 8.2 फीसदी का है।
कमाल की बात यह है कि उद्योग की आम राय के विपरीप गोल्डमैन सैक्श ने रिजर्व बैंक द्वारा 26 जुलाई को रेपो दर में की गई 0.50 फीसदी वृद्धि को वाजिब माना है। उसका कहना है कि यह स्पष्ट संकेत है कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नीचे लाने के बारे में कितना चौकन्ना व समर्पित है। जून में मुद्रास्फीति की दर 9.44 फीसदी रही है, जिसे रिजर्व बैंक मार्च 2012 तक 6-7 फीसदी पर लाना चाहता है।