चीनी ज़मीन पर पड़ी हो तो हर तरफ से चीटियों का झुंड उमड़ पड़ता है। इसी तरह जहां ज्यादा रिटर्न की गुंजाइश हो, वहां दुनिया भर के निवेशक टूट पड़ते हैं। लेकिन अपने शेयर बाज़ार में जुलाई के अंतिम हफ्ते से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) खरीदने से ज्यादा बेचे जा रहे हैं। शेयर बाजार के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक 24 जुलाई से 29 सितंबर तक उन्होंने कैश सेगमेंट से 50,988.69 करोड़ रुपए निकाले हैं। हालांकि एनएसडीएल और सीडीएसएल के अंतिम आंकड़े केवल सितंबर महीने में 14,767.50 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली दिखा रहे हैं। ऐसे माहौल में उभरते बाज़ारों के धुरंधर फंड मैनेजर मार्क मोबियस का यह कहना बड़ा अहम हो जाता है कि वे भारत को लेकर पहले से कहीं ज्यादा, बल्कि सबसे ज्यादा बुलिश हैं और यहां इतने जबरदस्त अवसर हैं, पूरी तस्वीर इतनी सकारात्मक है कि यहां से होल्डिंग कम करने का कोई तुक नहीं है। क्या इसका मतलब यह कि एफपीआई का धन अपने यहां जमकर आता रहेगा। अब मंगलवार की दृष्टि…
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