गेहूं की सरकारी खरीद और इसकी बर्बादी की तैयारी कर ली गई है। पहले से ही इफरात पुराने अनाज से भरे गोदाम एफसीआई की सांसत बढ़ाने वाले हैं। गेहूं की नई फसल के भंडारण के लिए गोदामों की भारी कमी है। रबी फसलों की बंपर पैदावार को देखकर खुश होने की जगह सरकारी एजेंसी एफसीआई के होश उड़ गये हैं। सुप्रीम कोर्ट से फजीहत झेलने के बावजूद खाद्य मंत्रालय ने पिछले दो सालों में मुट्ठी भर अनाज भंडारण की क्षमता नहीं विकसित की है।
गेहूं की खरीद और भंडारण की बदइंतजामी इस बार सरकार पर भारी पडऩे वाली है। पिछले दो सालों से खुले आसमान के नीचे रखे लाखों टन अनाज के सडऩे पर भी सरकार की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। उसने यहां तक कह दिया कि अगर अनाज रखने की जगह नहीं है तो गरीबों में मुफ्त बांट दिया जाए। भंडारण की कमी के चलते इस बार भी अनाज सड़ेगा।
एफसीआई की खुद की कुल भंडारण क्षमता 1.54 करोड़ टन है। जबकि दूसरी एजेंसियों से वह सालाना आधार पर 1.33 करोड़ टन भंडारण क्षमता किराये पर है। इस तरह उसकी कुल भंडारण क्षमता 2.88 करोड़ टन ही है। इसमें केंद्रीय वेयरहाउसिंग निगम के अलावा राज्य एजेंसियों के गोदाम भी शामिल हैं। बाकी अनाज खुले में अस्थाई गोदामों (कैप) में रखा हुआ है।
वास्तव में चालू रबी सीजन में खाद्यान्न पैदावार 23.5 करोड़ टन से अधिक होने वाली है। इसमें अकेले गेहूं की हिस्सेदारी 8.42 करोड़ टन है, जो अब तक की सर्वाधिक है। इसके मद्देनजर केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने चालू खरीद सीजन में 2.62 करोड़ टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है। केंद्रीय एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को गेहूं खरीद और भंडारण के लिए पुख्ता इंतजाम करने को कहा गया है।
लेकिन वास्तविक धरातल पर एफसीआई के पास भंडारण के लिए जितने गोदाम हैं, वे पिछले सालों के गेहूं व चावल से भरे पड़े हैं। लगभग डेढ़ करोड़ टन अनाज अभी भी खुले में बने अस्थाई गोदामों में रखा पड़ा है। सरकारी स्टॉक में कुल 4.58 करोड़ टन पुराना गेहूं और चावल है। इसके खराब होने की आशंका लगातार बढ़ रही है।
दरअसल तिरपाल से ढके अस्थाई गोदामों का रखा अनाज हर हाल में सालभर के भीतर खाली करा लिया जाना चाहिए। लेकिन महंगाई से भयाक्रांत खाद्य मंत्रालय अस्थाई गोदामों को खाली कराने से पीछे हट गया। ऐसी दशा में अनाज का फिर सडऩा लगभग तय है।