कृषि, खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को संसद में ऐसा बयान दिया जिससे लगता है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के चहेते खाद्य सुरक्षा विधेयक को कानून बना दिया गया तो देश राजकोषीय घाटे के दलदल में घंस जाएगा।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत अगर गरीब परिवारों को महीने में 25 किलो अनाज दिया जाता है तो सरकार को 76720 करोड़ रुपए की खाद्य सब्सिडी देनी पड़ेगी। अगर 35 किलो अनाज दिया जाता है तो खाद्य सब्सिडी का बोझ 1.07 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। इससे राजकोषीय घाटे को संभालने का सारा गणित चौपट हो सकता है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में खाद्य सब्सिडी के लिए 55,578 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
खाद्य सुरक्षा कानून के चलते ज्यादा सब्सिडी देनी पड़ी तो हम 2012-13 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 4.1 फीसदी तक लाने का लक्ष्य नहीं हासिल कर पाएंगे। लेकिन इस कानून का समर्थन करनेवालों का कहना है कि इससे देश के 40 करोड़ गरीबों को भुखमरी से बचाया जा सकता है। साथ ही यह कि सरकारी खरीद का लाखों टन अनाज अभी बरबाद होता रहता है, जिसका आगे सदुपयोग किया जा सकता है। वैसे, बहुत से लोग इसे 2014 के आम चुनावों के लिए कांग्रेस का लॉलीपॉप भी कहने से नहीं चूकते।
शोभनम्
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