योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से कम से कम एक फीसदी ज्यादा रहेगा। इस साल के बजट में अनुमान लगाया गया है कि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.6 फीसदी रहेगा। लेकिन मोंटेक की मानें तो यह कम से कम 5.6 फीसदी रहेगा।
उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली में कहा कि देश के आर्थिक विकास में छाती सुस्ती को दूर करने के लिए उद्योग को प्रोत्साहन पैकेज देने का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि देश का राजकोषीय घाटा पहले ही ज्यादा हो चुका है। उनका कहना था, “मुझे नहीं लगता कि प्रोत्साहन के अभाव के कारण औद्योगिक सुस्ती आयी है। राजकोषीय घाटा अनुमान से अधिक रहने की आशंका है। ऐसे में प्रोत्साहन पैकेज का मामला कहां बनता है?”
अहलूवालिया ने कहा कि राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से एक फीसदी अधिक रह सकता है लेकिन कारकों का वास्तविक प्रभाव कितना होगा, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन यह 4.6 फीसदी से अधिक रहेगा।
सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीने (अप्रैल से अक्टूबर) तक 3.07 लाख करोड़ रुपए हो गया है जो बजटीय अनुमान का 74.4 फीसदी है। इसकी मुख्य वजह गैर-कर राजस्व में आई कमी है। आहलूवालिया ने कहा कि निवेश कम रहने, राजनीतिक अनिश्चितता और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी के कारण औद्योगिक सुस्ती आई है।
मल्टी ब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश के बारे में मोंटेक का कहना था कि इससे ग्राहकों और किसानों दोनों का फायदा होगा। विपक्ष बिना इस मसले को समझे हुए इसे बेववजह राजनीतिक तूल दे रहा है।