रुपयों के खेल में चंद पैसों का कोई मायने नहीं होता। शायद रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने रेल बजट 2012-13 में इसी आम मनोविज्ञान को कुशल मार्केटिंग के अंदाज में इस्तेमाल करने की कोशिश की। उन्होंने पहले तो रेलवे की खस्ता माली हालत का रोना रोया। कहा, “कंधे झुक गए हैं, कमर लचक गई है। बोझा उठा-उठाकर बेचारी रेल थक गई है। रेलगाड़ी को नई दवा, नया असर चाहिए। इस सफर में मुझे आप-सा हमसफर चाहिए।”
इसके बाद उन्होंने 2004 से ही यात्री किराए में वृद्धि के रुके हुए सिलसिले को तोड़ते हुए कहा, “मैं आम आदमी पर कम से कम बोझ डालने और इसे इसकी सहन-शक्ति के भीतर रखते हुए किरायों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव रखता हूं।” उन्होंने बताया कि प्रति किलोमीटर उपनगरीय व सामान्य सेकंड क्लास का किराया 2 पैसा, मेल व एक्सप्रेस में सेकंड क्लास का किराया 3 पैसा, स्लीपर क्लास का 5 पैसे, एसी चेयरकार, एसी 3 टियर व फर्स्ट क्लास का 10 पैसा, एसी 2 टियर में 15 पैसा और एसी फर्स्ट में केवल 30 पैसा बढ़ाने का प्रस्ताव है।
उनकी यह युक्ति हिंदुस्तान लीवर, कॉलगेट, आईटीसी या प्रॉक्टर एंड गैम्बल जैसी एफएमसीजी कंपनियों के लिए मार्केटिंग के लिहाज से बड़ी उपयुक्त है। लेकिन पैसे प्रति किलोमीटर की तह में बैठें तो पता चलता है कि नई दिल्ली से मुंबई तक 1390 किलोमीटर के सफर का सामान्य सेकंड क्लास का किराया अब 21 फीसदी बढ़कर 260 रुपए हो गया है। वहीं, राजधानी एक्सप्रेस में एसी फर्स्ट क्लास का किराया 14 फीसदी बढ़कर 3445 रुपए हुआ है।
नए किराए 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष से लागू होंगे। इनसे भारतीय रेल को यात्री किराए से करीब 4000 करोड़ रुपए अतिरिक्त मिलने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में यात्री किराए की प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 28,800 करोड़ रुपए का है, जबकि नए वित्त वर्ष 2012-13 में यात्री किराए से कुल प्राप्तियों का बजट अनुमान 36,073 करोड़ रुपए का है। अगर यात्रियों की संख्या में अनुमानित 5.4 फीसदी की वृद्धि को समायोजित कर दिया जाए तो किराए में वृद्धि 18.5 फीसदी निकलती है। लेकिन रेल मंत्री ने खुलकर किराया बढ़ाने की बात न कहकर पैसे प्रति किलोमीटर का शब्दजाल फेंक डाला।
मगर, विपक्ष उनके इस नुक्ते पर हल्ला मचाने से बाज नहीं आया। दूसरों की तो छोड़िए, खुद उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सांसद उनका इस्तीफा मांगते हुए नजर आए। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा, “हमारी पार्टी आम जनता के हित में काम करती आई। रेल मंत्री ने किराया बढ़ाए जाने की चर्चा पार्टी से नहीं की थी। हम मांग करते है कि किराए में बढ़ोतरी वापस ली जाए।”
विपक्षी दल बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा है कि रेलवे का यात्री किराया एकाएक ‘चोरीछुपे’ ढंग से बढ़ाए जाने से पहले से ही महंगाई से त्रस्त जनता पर बोझ बढ़ाएगा। वहीं पूर्व रेल मंत्री नीतीश कुमार ने नए रेल बजट को ‘खाली डिब्बा’ करार दिया। उन्होंने कहा, “रेल हादसे के मामलो में बढ़ोतरी आई है और रेल मंत्री ने इससे निपटने के जो उपाय बताए है वो भविष्य की ओर ताकते हैं। फौरी तौर पर किसी तरह के राहत की बात नहीं की गई।” उनका कहना था, “रेल बजट निराशाजनक है और इसमें आम आदमी के लिए कुछ नहीं है, उपर से यात्रा भाड़े बढ़ा दिए गए। ये बजट एक खाली डिब्बा है।”
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रेल बजट पर आशावादी रूख अपनाते हुए कहा कि जो प्रस्ताव पेश किए गए हैं अगर उन पर उचित तरीके से कार्रवाई की गई तो रेलवे के सुधार में आसानी होगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कहना है, “रेल मंत्री ने सुरक्षा और भारतीय रेल के आधुनिकीकरण पर जोर देते हुए एक अग्रदर्शी बजट पेश किया है। इसके प्रावधान 12वीं पंचवर्षीय योजना की मांग को पूरा करने में रेलवे की जिम्मदारियों के लिहाज से किए गए हैं।”
रेल मंत्री ने 2012-13 के लिए 60,100 करोड़ रुपए की अब तक की सबसे बड़ी वार्षिक योजना पेश की है। इसमें से 24,000 करोड़ रुपए बजट सहायता से जुटाए जाएंगे, 2000 करोड़ रेलवे सेफ्टी फंड और 18,050 करोड़ रुपए आंतरिक संसाधनों से जुटाए जाएंगे। बाकी 26,050 करोड़ बजट के बाहर से जुटाए जाने हैं, जिसमें 15,000 करोड़ रुपए भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी) बाजार ऋण के रूप में जुटाएगा।
नए साल में कुल 1,35,693.89 करोड़ रुपए की प्राप्तियों का अनुमान है। इसमें से यात्री व माल भाड़े यानी यातायात से कुल 1,32,552 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। इसमें से माल यातायात से 89,339 करोड़ रुपए पाने का लक्ष्य रखा गया है। यह चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 30.2 फीसदी ज्यादा है। नए साल में भारतीय रेल के लिए 102.50 करोड़ टन माल ढुलाई का लक्ष्य है, जबकि चालू वित्त वर्ष में उसकी माल ढुलाई का संशोधित अनुमान 97 करोड़ टन रहा है। इस साल के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि ममता बनर्जी ने तय किया था कि भारतीय रेल 91.1 रुपए खर्च करके 100 रुपए कमाएगी। लेकिन दिनेश त्रिवेदी ने बताया है कि वास्तव में यह परिचालन अनुपात 95 फीसदी का रहा है यानी हमारी रेल 95 रुपए खर्च करके 100 रुपए कमा रही है। त्रिवेदी कहते हैं कि वो नए साल में इसे 84.9 फीसदी पर पहुंचा देंगे।