शेयर बाज़ार के धुरंधर मानकर चल रहे हैं कि भारत मूलभूत रूप से बदल गया है। हम सरपट विकास की राह पर हैं। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर डिफेंस तक पर खुलकर खर्च कर रही है जिससे हमारी कंपनियों को फायदा हो रहा है। सब कुछ मोदीमय है। चूंकि 2024 में भी मोदी सरकार बनना तय है तो बाजार कुलांचे मारे जा रहा है। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि संसद बेमानी हो गई है, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सरकार के खिलाफ जा नहीं सकते, समूचा मीडिया बेरीढ होकर मोदीभक्त और सरकारी प्रचार का जरिया बन गया है, समाज में रार बढ़ गई है, हर तरफ झूठ व दलाली का बोलबाला है और जो भी सच बोलने या सरकार का विरोध करने की जुर्रत करता है, उसके पीछे ईडी और सीबीआई छोड़ दी जाती है। सरकार सच का तिनका भी बरदाश्त नहीं कर पा रही। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारत को अब भी BBB- की कमतर रेटिंग दे रखी है क्योंकि यहां भ्रष्टाचार है, निष्पक्ष मीडिया व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून का सही राज नहीं है तो सरकार फिरंट होकर कहती है कि रेटिंग एजेंसियों का पैमाना ही गलत है। डर है कि कहीं सारा विकास आभासी तो नहीं और देश की हालत अंततः कहीं ‘अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत’ जैसी न हो जाए! अब मंगलवार की दृष्टि…
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