जी-20 अफ्रीकी संघ को शामिल कर लिए जाने के बाद अब जी-21 हो गया है। लेकिन क्या वह विकसित देशों के समूह जी-7 के सामने विकासशील देशों या ग्लोबल साउथ की प्रखर आवाज़ बन पाया है? यह सच है कि यूक्रेन युद्ध के मसले पर दिल्ली समिट में चालाकी भरा बयान ड्राफ्ट करके ‘गइयो गाभिन, भैंसियो गाभिन’ के अंदाज़ में सर्वसम्मति हासिल कर ली गई। लेकिन राजनीति से आगे बढ़कर वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटने की क्या दिशा इस सम्मेलन से निकली है? यकीनन, भारत, मध्य-पूर्व व यूरोप को जोड़ने वाला आर्थिक कॉरिडोर (आईएमईसी) बनाना एक बड़ी आर्थिक उपलब्धि है। भारत, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात, फांस, जर्मनी व इटली के बीच यह कॉरिडोर बनाने पर सहमति हो गई है। इसके तहत सड़क से लेकर रेल लाइन व समुद्री मार्ग तक को मिलाकर एक ट्रांसपोर्ट तंत्र बनाया जाएगा जो एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के एकीकरण के जरिए आर्थिक विकास का संवाहक बनेगा। लेकिन यह भी तो पश्चिमी देशों द्वारा चीन के बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव) को टक्कर देने का राजनीतिक पैंतरा है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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