अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय (एएमयू) की जैव-प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने बहु-औषधि प्रतिरोधक एनडीएम-1 सुपरबग का आसानी से पता लगाने की तकनीक विकसित की है।
विश्वविद्यालय के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर असद खान ने गुरुवार को अलीगढ़ में बताया कि वैज्ञानिकों के एक दल ने सुपरबग के तीन रूपांतरों के जीन को अनुक्रमित किया है और अब वे उस जीन के आनुवांशिकीय पहलू का अध्ययन कर रहे हैं।
खान ने बताया कि विश्वविद्यालय की जैव-प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने सुपरबग का पता लगाने के लिये नवविकसित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर सघन नैदानिक परीक्षण किए हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत और पाकिस्तान समेत कुछ देशों में बड़े पैमाने पर एंटी-बायोटिक के दुरुपयोग के चलते उनके प्रतिरोध करने की क्षमता से लैस बैक्टीरिया पैदा हो गए हैं जिनका इलाज लगभग नामुमकिन है।
एनडीएम-1 सुपरबग का पता सबसे पहले वर्ष 2009 में नयी दिल्ली में लगा था। उसके बाद वैज्ञानिकों ने इंसानों के जरिए इस बैक्टीरिया के व्यापक प्रसार का खतरा बताया था।