मुद्रास्फीति या महंगाई ने भले ही आम लोगों का बजट खराब कर दिया हो। लेकिन इसने सरकार का बजट एकदम चकाचक कर दिया है। बढ़ी मुद्रास्फीति की कृपा ने केंद्र सरकार इस बार बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.4% तक सीमित रखने का लक्ष्य हासिल कर लेगी और तमाम अर्थाशास्त्रियों से लेकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों तक को कहने का मौका नहीं देगी कि वह खर्चशाह हो गई है और ऋणम् कृत्वा, घृतम पीवेत की चार्वाकी राह पर चल पड़ी है। असल में हुआ यह है कि मुद्रास्फीति बढ़ने से हमारा जीडीपी मौजूदा मूल्य पर 2,73,07,751 करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है। सरकार का राजकोषीय घाटा दरअसल इस साल एक लाख करोड़ रुपए बढ़कर 17,61,196 करोड़ रुपए तक जा सकता है। फिर भी यह नए अनुमानित जीडीपी का 6.45% निकलता है। इसलिए सरकार लक्ष्य हासिल कर लेगी। अब सोमवार का व्योम…
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