आईएमएफ या अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के 80 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब उसे आधिकारिक रूप से अपने किसी कार्यकारी निदेशक के बयान से पल्ला झाड़ना पड़ा। हुआ यह कि आईएमएफ के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने नई दिल्ली में 28 मार्च को एक आयोजन में ऐलानिया कहा कि भारत ने पिछले दस सालों में जो नीतियां अपनाई हैं, उससे वो 2047 तक सालाना 8% की विकास दर से बढ़ सकता है। इसके हफ्ते भर बाद आईएमएफ की प्रवक्ता जूली कोज़ैक ने बाकायदा प्रेस कॉन्फेंस बुलाकर सफाई दी कि सुब्रमणियन ने यह बयान आईएमएफ में भारत के प्रतिनिधि की हैसियत से दिया था और इससे आईएमफ का कोई लेना-देना नहीं है। आईएमएफ अब भी भारत की विकास दर 6.5% रहने के पिछले अनुमान पर कायम है। उन्होंने कहा कि सुब्रमणियन आईएमएफ के 24 कार्यकारी निदेशकों में से एक हैं और उनके बयान का कोई आधिकारिक महत्व नहीं है। दरअसल, सुब्रमणियन कई सालों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं और उन्हें मोदी सरकार ने ही आईएमएफ में भारत का प्रतिनिधि बनाकर भेजा है। मगर, अर्थव्यवस्था में मोदी का यह झूठा प्रशस्तिगान अब दुनिया को बहुत अखरने लगा है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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