आम लोगों के लिए कल्याण योजनाओं का विस्तार करने के क्रम में सरकार ने घरेलू श्रमिकों को भी स्वास्थ्य बीमा के तहत लाए जाने को मंजूरी दे दी है। गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में देश के पंजीकृत 47.50 लाख घरेलू श्रमिकों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना योजना के तहत लाए जाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। इन श्रमिकों में ज्यादातर घरों में काम करनेवाली महिलाएं हैं।
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं का इस निर्णय की जानकारी दी। कैबिनेट की पिछली बैठक में इस योजना के तहत 55 लाख बीड़ी श्रमिकों को लाने को अनुमति दी गई थी। बिल्डिंग व कंस्ट्रक्शन मजदूर और नरेगा के श्रमिक पहले ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) के तहत लाए जा चुके हैं।
कैबिनेट के फैसले के अनुसार इस योजना के तहत 18 से 59 साल तक के घरेलू श्रमिकों को शामिल किया जाएगा। ये श्रमिक देश के ऐसे किसी भी अस्पताल में उपचार कराने के पात्र होंगे जो इस योजना के तहत सूचीबद्ध हैं। बीमा कवर का लाभ घरेलू श्रमिक और उसके पांच आश्रित उठा सकेंगे। योजना के अंतर्गत पात्र घरेलू श्रमिकों का स्मार्ट कार्ड आधारित 30,000 रूपए तक का स्वास्थ्य बीमा होगा।
अनुमान है कि इस योजना पर केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष 2011-12 में 29.70 करोड़, अगले वित्त वर्ष 2012-13 में 74.25 करोड़, 2013-14 में 148.50 करोड़ और वित्त वर्ष 2014-15 में 297 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। यह धन असंगठित मजदूरों के लिए बने राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष (एनएसएसएफ) से दिया जाएगा।
इस योजना में हर साल जानेवाले प्रीमियम का 75 फीसदी हिस्सा केन्द्र और 25 फीसदी हिस्सा संबंधित राज्य वहन करेंगे। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए केन्द्र 90 फीसदी और संबंधित राज्य 10 फीसदी वहन करेंगे। प्रत्येक घरेलू श्रमिक का पहचान पत्र बनाने पर आने वाला 60 रूपए का खर्च केन्द्र ही उठाएगा।
इस स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए पंजीकृत घरेलू श्रमिकों को इन चार में कोई दो से पहचान सर्टीफिकेट देने होंगे – नियोक्ता, संबंधित आवास कल्याण संघ, पंजीकृत श्रमिक संघ या स्थानीय पुलिस।