डॉलर का दबदबा घटा, फिर भी 59% से ऊपर

नए साल में एफपीआई की खरीद बढ़ने के साथ ही शेयर बाज़ार में तेज़ी का सुरूर चढ़ने लगा। उधर अमेरिका का सिस्टम में नोट छापकर डॉलर डालने और मुद्रास्फीति को थामने के लिए उसे वापस खींचने का क्रम जारी है। इस तरह वह अपनी अर्थव्यवस्था को गरम-ठंडा करता रहता है। लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था उसकी इस हरकत से प्रभावित होती है। वैसे, दुनिया के वित्तीय बाज़ार में अमेरिकी डॉलर का हिस्सा लगातार घटता जा रहा है। साल 2000 में यह हिस्सा लगभग 71% हुआ करता है, जबकि 21 साल बाद 2021 में घटकर 59.2% रह गया। फिर भी आधे से ज्यादा हिस्सा बहुत मायने रखता है। अब भी यूरोप से लेकर एशिया तक के तमाम बड़े और छोटे बाज़ार अमेरिका की लयताल में ही चलते हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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