विश्व के जीडीपी में अमेरिका का योगदान 23% और वस्तु व्यापार में 12% ही है। फिर भी दुनिया का 60% उत्पादन और लोग उन देशों में हैं जिनकी मुद्रा की सांसें डॉलर में अटकी हुई हैं। अमेरिका ने दुनिया में अपना आधिपत्य 1920 से 1945 के दौरान ब्रिटेन को पीछे धकेलकर बनाया। लेकिन डॉलर की ताकत बनी रहने के बावजूद इधर अमेरिका की आर्थिक औकात कमजोर हो रही है। अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट निवेश में अमेरिकी कंपनियों का हिस्सा 1999 में 39% था जो अब घटकर 24% पर आ गया है।
मगर, अमेरिकी फंड मैनजरों का दायरा बढ़ता जा रहा है। पिछले एक दशक में उनके द्वारा प्रबंधित आस्तियों का हिस्सा दुनिया में 44% से बढ़कर 55% हो चुका है। वैसे, अमेरिका की वित्तीय ताकत समग्र रूप से बढ़ रही है। यही वजह है कि उसके ब्याज दर बढ़ाने की बात चलने से ही दुनिया, खासकर भारत जैसे उभरते देशों के वित्तीय बाज़ार हिल जाते हैं।