नामी ब्रोकरेज फर्म है। ईनाम भी बटोरे हैं। पैसे व बुद्धिमत्ता की बात करती है। उसने 26 दिसंबर को नए साल के लिए दस कंपनियां पेश की। अडानी पोर्ट, कैयर्न, एस्कोर्ट्स, क्रॉम्प्टन, एस्सेल प्रोपैक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, पीएनबी, सेसा स्टरलाइट, टोरेंट फार्मा व विप्रो। इनमें से आठ में घाटा है। हमने तब से दो कंपनियां बताईं ल्यूपिन और टेक सोल्यूशंस। दोनों फायदे में हैं। यह है किसी ब्रोकर व निष्पक्ष सलाह का फर्क। अब आज की कंपनी…
कोलकाता की कंपनी टीआईएल लिमिटेड ने 1944 में अपनी शुरुआत दुनिया की मशहूर इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी कैटरपिलर की पूर्वी भारत की डीलरशिप लेकर की है। तब उसका नाम टैक्टर्स इंडिया लिमिटेड हुआ करता था। बाद में वो खुद मैन्यूफैक्चरिंग में उतर गई। इस समय वो कंस्ट्रक्शन व खनन से जुड़े तमाम इंजीनियरिंग उपकरण बनाती है। उसके मुख्तयः दो डिवीजन हैं – मैटीरियल हैंडलिंग सोल्यूशन (एमएचएस) और कंस्ट्रक्शन माइनिंग सोल्यूशंस (सीएमएस) व पावर सिस्टम्स सोल्यूशंस (पीएसएस)।
आसान शब्दों में कहें तो वो मोबाइल क्रेन, टॉवर क्रेन, कंटेनर हैंडलर, फोर्कलिफ्ट, एक्सकैवेटर, हॉट मिक्स प्लांट, ऑफ-हाईवे ट्रक, लोडर के साथ-साथ डीजल जनरेटर बनाती है। सीएमएस और पीएसएस को देखने के लिए उसने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सडियरी – टैक्सर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बना रखी है। कंपनी इस वक्त भी भी उत्तरी व पूर्वी भारत के साथ-साथ भूटान, नेपाल व म्यांमार में बहुराष्ट्रीय कंपनी कैटरपिलर की एक्सक्लुसिव डीलर का काम करती है।
2010 तक कंपनी का धंधा एकदम चौकस चल रहा था। साल 2000 से 2010 के बीच उसकी बिक्री औसतन 15 फीसदी और शुद्ध लाभ 33 फीसदी सालाना की रफ्तार से बढ़ा। दिसंबर 2010 में उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 750 रुपए की रेंज में टहल रहा था। लेकिन वही शेयर बाद के करीब तीन साल में घटकर 82 रुपए पर आ गया और इस वक्त 140 के आसपास चल रहा है।
कारण बड़ा साफ है। देश के इंफ्रास्ट्रक्चर की प्रगति में आए धीमेपन का असर कंपनी पर भारी पड़ गया। 2010-11 में कंपनी ने 1380.59 करोड़ रुपए की बिक्री पर 60.20 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। लेकिन 2012-13 तक घटकर उसकी बिक्री 1173.65 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ मात्र 4.31 करोड़ रुपए पर आ गया। कंपनी के दुर्दिन अभी खत्म नहीं हुए हैं।
ताज़ा नतीज़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 में सितंबर की तिमाही में कंपनी की शुद्ध बिक्री 15.7 फीसदी बढ़कर 329.79 करोड़ रुपए हो गई। लेकिन इसी दौरान साल भर पहले की समान तिमाही की तुलना में उसका घाटा 4.09 करोड़ रुपए से बढ़कर 7.79 करोड़ रुपए हो गया। कंपनी का परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) भी 6.2 फीसदी से घटकर 5.4 फीसदी पर आ चुका है। इस दौरान उस पर ब्याज का बोझ 15.69 करोड़ रुपए से बढ़कर 17.82 करोड़ रुपए हो चुका है। इसके मूल में यह है कि कंपनी का जो ऋण-इक्विटी अनुपात मार्च 2013 तक 1.4 हुआ करता था, वो अब बढ़कर 1.6 का हो चुका है।
आप कहेंगे कि इस तरह खराब हालत में पहुंच चुकी कंपनी में हम निवेश की सलाह क्यों दे रहे हैं तो इसका जवाब है कि दुनिया में क्षेत्रफल के लिहाज से सातवें सबसे बड़े देश और आबादी के लिहाज से दूसरे सबसे बड़े देश भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, खासकर कंस्ट्रक्शन उपकरणों की संभावना बहुत ज्यादा है। कोई भी सरकार इस पक्ष को नजरअंदाज़ नहीं कर सकती। आम चुनावों के बाद जैसे ही सरकारी कंपनी का पूंजी व्यय शुरू होगा, टीआईएल का धंधा बढ़ने लगेगा। वैसे भी लगता है कि कंपनी के सबसे बुरे दिन अब बीत चुके हैं।
टीआईएल का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर शुक्रवार 10 जनवरी 2013 को बीएसई में 138.65 रुपए और एनएसई में 140 रुपए पर बंद हुआ है। इस तरह वो ठीक पिछले बारह महीनों के प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 4.39 रुपए से वो 31.89 गुना या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
हमारा आकलन है कि चार साल बाद यह शेयर 12.5 के भी पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो तो इसका भाव 450 रुपए तक पहुंच जाना चाहिए। कंपनी के तमाम पहलुओं को देखने के बाद हमारी गणना कहती है कि 2017-18 में उसका प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 36 रुपए होना चाहिए।
इस तरह 140 रुपए के मौजूदा भाव पर कोई इसमें निवेश करे तो चार साल में कुल 221.42 फीसदी का रिटर्न कमा सकता है। वहीं रिटर्न की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) 33.90 फीसदी की निकलती है।
टीआईएल लिमिटेड (बीएसई – 505196, एनएसई – TIL)
शुक्रवार का बंद | एंट्री का भाव | 52 हफ्ते का उच्चतम/न्यूनतम | भावी उम्मीद | चार साल का अपेक्षित रिटर्न |
140 | 140 | 225/82 | 450 रुपए | 221.42% |
(भाव एनएसई के)
टीआईएल लिमिटेड एक स्मालकैप कंपनी है। इसकी कुल इक्विटी 10.03 करोड़ रुपए है। इसमें प्रवर्तकों का हिस्सा 56.30 फीसदी है और बाकी 43.70 फीसदी पब्लिक के पास है। इसमें से 2.68 फीसदी शेयर एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) ने खरीद रखे हैं।
कंपनी में लंबे समय के लिए यकीकन अच्छा निवेश बनता है। लेकिन नियम कहता है कि स्माल कैप कंपनियों में कुल निवेशयोग्य धन या पोर्टफोलियो का 5 से 10 फीसदी नहीं लगाना चाहिए और उसमें भी किसी में निवेश दो-तीन फीसदी से ज्यादा नहीं लगाना चाहिए। इसलिए अगर आपके पास एक लाख रुपए शेयर बाज़ार में लगाने के लिए हैं तो टीआईएल के ज्यादा से ज्यादा 20-25 शेयर ही आपको खरीदने चाहिए। बाकी आप खुद समझदार हैं।
डिस्क्लेमर: शेयर बाजार के निवेश में सबसे ज्यादा रिस्क है। इसलिए निवेश का फैसला काफी सोच-विचार और रिसर्च के बाद ही करें। आपके निवेश के लिए हम किसी भी रूप में जिम्मेदार नहीं होंगे।