ताकि, समाज में पैदा न हो जाए असंतोष

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को चिंता सता रही है कि कहीं विकास के मौजूदा ढर्रे से समाज में असंतोष न पैदा हो जाए। उन्होंने सोमवार को राजधानी दिल्ली में एशियाई विकास बैंक के एक समारोह में कहा कि व्‍यापक, समावेशी व निरंतर विकास हासिल करना बेहद जरूरी है। जो विकास समावेशी और आबादी के विभिन्‍न वर्गों के बीच समानता सुनिश्चित नहीं करता, उससे समाज में विवाद और असंतोष पैदा हो सकता है।

श्री मुखर्जी ने कहा कि इसके साथ उच्‍च विकास दर बनाए रखना भी उतना ही ज़रूरी है। उन्‍होंने कहा कि हमने राष्‍ट्रीय कौशल विकास परिष्‍द और राष्‍ट्रीय नव-प्रवर्तन परिषद का गठन किया है। वित्‍त मंत्री ने कहा कि भारत को ज्ञान तथा कौशल आधारित अर्थव्‍यवस्‍था बनाने के लिए मौजूदा दशक (2010-2020) को ‘नवप्रवर्तन दशक’ के रूप में मनाया जा रहा है। वित्‍त मंत्री प्रणव मुखर्जी भारत-एशिया विकास बैंक की भागीदारी के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्‍य में आयोजित समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि एशियाई देशों की सरकारों व नागरिकों को अपने पारिस्थितिक तंत्र का पहले से भी ज्‍यादा ख्‍याल रखना चाहिए और इसके उत्‍थान के लिए किए जा रहे प्रयासों को बढ़ती हुई अर्थव्‍यवस्‍था की रफ्तार के साथ समन्वित करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि भारत सरकार ने इस संदर्भ में जलवायु परिवर्तन के लिए राष्‍ट्रीय कार्य योजना बनाई है, जिसमें कम से कम आठ राष्‍ट्रीय मिशनों को शामिल किया गया है।

श्री मुखर्जी ने कहा कि एशियाई सदी को स्‍थापित करने का सपना अकेले ही पूरा नहीं किया जा सकता। उन्‍होंने कहा कि हमें इसके लिए एक साथ मिलकर और सामंजस्‍य बैठाकर काम करना होगा। पूरे एशिया क्षेत्र को उच्‍च विकास के स्‍तर पर ले जाने के लिए तेज़ी से उभर रही अर्थव्‍यवस्‍थाओं और पड़ोसी अर्थव्‍यवस्‍थाओं के बीच सामंजस्‍य बनाना होगा।

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