शेयर बाज़ार में तीन तरह के लोग धंधा करने या कमाई करने के मकसद से आते हैं। एक वे जो अपनी बचत का एक अंश यहां लगाकर साइड की कमाई करना चाहते हैं। ऐसे रिटेल निवेशकों व ट्रेडरों की संख्या देश में कुल पंजीकृत लगभग 20 करोड़ निवेशकों में से 10-12 करोड़ तो होगी ही। दूसरे वे हैं जिनके पास इफरात धन है और वे शेयर बाज़ार में खेलने के लिए आते हैं। पैसा फेंको, तमाशा देखो। तीसरे हैं वे, जो शेयर बाज़ार का धंधा करते हैं। इनमें ब्रोकरों से लेकर उनके सब-ब्रोकर व एजेंट, म्यूचुअल फंड, बैंकों व संस्थागत निवेशकों के लोग शामिल हैं। इन तीनों में से केवल पहली श्रेणी के लोगों को नियामक संरक्षण व सुरक्षा की ज़रूरत होती है। बाकी दो खुद अपने हितों की हिफाजत करने में पूरी तरह सक्षम हैं। अमेरिका में आम निवेशकों की सुरक्षा के लिए सिक्यूरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) है, जबकि भारत में यह काम सेबी (सिक्यूरिटीज़ एड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के ज़िम्मे है। इन पूंजी बाज़ार नियामक संस्थाओं की ज़िम्मेदारी है कि वे बाज़ार को केवल सच व सच के आधार पर चलाएं और आम से लेकर खास निवेशकों को समान सूचनाएं एक ही समय पर मिल जाएं। जो इस बाबत बनाए गए नियम तोड़ता है, उस पर गलत बयानी से लेकर इनसाइडर ट्रेडिंग के इल्ज़ाम में कठोर सज़ा दी जाती है। अपनी सेबी के कर्म क्या हैं? अब सोमवार का व्योम…
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