संघ प्रचारक से भारत के प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी का खास गुण है झूठ बोलना और मोदी सरकार का खास अंदाज़ है सच को झुठला देना। जब विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट आई कि दुनिया भर कोरोना महामारी के कुल लगभग 1.5 करोड़ लोम मारे गए, जिसमें से सर्वाधिक एक तिहाई से भी ज्यादा 47 लाख मौतें अकेले भारत में हुई हैं तो मोदी सरकार ने झूठ-झूठ चिल्लाना शुरू कर दिया। हमारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय 20 मार्च 2024 तक कोरोना से हुई कुल मौतों का लेटेस्ट आंकड़ा 5.34 लाख ही बताता है। इसी तरह जब आर्थिक विषमता पर वर्ल्ड इनिक्वलिटी लैब की रिपोर्ट आई तो मोदी सरकार ने अपने सगे अर्थशास्त्रियों को फौरन फील्डिंग में उतार दिया। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में बैठे सुरजीत भल्ला और उनके सहयोगी करण भसीन ने लम्बा लेख लिखकर दावा किया कि नितिन कुमार भंडारी, लुकाज़ चांसेल, थॉमस पिकेटी और अनमोल सोमांची ने भारत की विषमता पर जो रिपोर्ट तैयार की, उसके आंकड़े और प्रस्थापनाएं बेबुनियाद व गलत हैं। इसके अलावा भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वर ने भी उक्त रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिए। खैर, इसके 20 दिन बाद ही वर्ल्ड इनिक्वलिटी लैब की रिपोर्ट के चारों लेखकों ने आगाह किया कि विषमता को झुठलाना भारत के भविष्य के लिए घातक होगा। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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