शेयरों में निवेश कोई सीधी-साधी राह नहीं कि मुंह उठाकर चल पड़े। जिस भी कंपनी के शेयरों में निवेश कर रहे हैं, उसका बिजनेस ठोंक-बजाकर समझना होता है। अगर बिजनेस को नहीं समझा तो गलत दवा की तरह उसके बड़े खतरनाक साइड-इफेक्ट होते हैं। वैसे भी हमारा शेयर बाज़ार अब ग्लोबल हो चुका है। बहुत सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां लिस्टेड हैं। इसलिए बाहर की ऊंच-नीच भी कंपनियों को प्रभावित करती है। बड़े नाम व स्थापित धंधे के बावजूद उनके शेयर इतने दबे, ठहरे या गिर सकते हैं कि किसी भी निवेशक का धैर्य जवाब दे देगा। ऐसे में रिटेल निवेशक के लिए एक तरीका तो यह है कि म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों के जरिए शेयर बाज़ार में धन लगाए जिसका आसान तरीका है एसआईपी। इसमें भी महीने के बजाय हर सप्ताह की एसआईपी ज्यादा कारगर होती है क्योंकि महीने में भाव बहुत ऊपर-नीचे हो सकते हैं, जबकि सप्ताह में उनकी गति को ठीक से कैप्चर किया जा सकता है। एसआईपी से बची रकम सीधे किसी कंपनी के शेयर में लगा सकते हैं। लेकिन शर्त यही है कि कंपनी का बिजनेस कायदे से समझ में आ जाए, तभी निवेश करें और गड़बड़ी का पता लगते ही बेचकर निकल जाएं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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