देश 2011 में, पर बाजार 1991 में?

जापान में भयंकर भूकंप और सुनामी से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है और इसमें सारी दुनिया से जापान को सहयोग व मदद मिलनी चाहिए। हालांकि जापान सरकार ने जिस तरह राहत व बचाव के लिए खटाक से 18,600 करोड़ डॉलर निकाल लिए हैं, वो वाकई सराहनीय कदम है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि जापान इस संकट से उबर जाएगा, भले ही इसमें थोड़ा वक्त लगे और उसे तकलीफ उठानी पड़े।

असल में जापान में पुनर्निर्माण से पेट्रोलियम तेल से लेकर स्टील, सीमेंट व हैवी मशीनरी की काफी मांग निकलेगी। तुरत-फुरत परमाणु बिजली संयंत्रों की कमी को पूरा करने के लिए तेल सबसे आसान उपाय है। एक बात तय है कि जापान के संकट से अभी तो नहीं, लेकिन कुछ समय बाद दुनिया में जिंसों के दाम और बढ़ जाएंगे।

शेयर बाजार की बात करें तो युद्ध और भूकंप जैसी आपदाओं के वक्त बाजार शुरू में झटका खाता है। लेकिन बाद में बढ़ता चला जाता है क्योंकि आम लोग डरकर बेचते हैं जबकि खास लोग खरीदते लगते हैं। ओवरसोल्ड बाजार की तो इन हालात में एक ही दिशा होती है और वो है ऊपर जाने की। आज भारतीय शेयर बाजार में ऐसा ही कुछ देखने को मिला। सेंसेक्स 265.39 अंक और निफ्टी 86.05 अंक बढ़ा है।

मुझे लगता है कि भारतीय बाजार में मूल्यांकन बहुत आकर्षक स्तर है, लुभावना है, सस्ता है। वित्त वर्ष 2010-11 बीतने को है और हम नए वित्त वर्ष 2011-12 में प्रवेश कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2011-12 के अनुमानित लाभ के हिसाब से बाजार का पी/ई अनुपात मात्र 14 या इससे भी कम है। बाजार में जल्दी ही इससे एक साल आगे 2012-13 के पी/ई की बात शुरू कर देगा। अभी तो सेंसेक्स का पी/ई अनुपात 11.6 निकलता है जो 1991 के सबसे बदतर हालात के लगभग बराबर है।

उस वक्त बाजार का पी/ई अनुपात 11 पर पहुंच गया था जबकि देश दीवालियेपन की कगार पर था और हमें अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था। इसलिए बाजार का अब और नीचे जाना नितांत असंभव है। हालांकि टेक्निकल चार्ट अब भी 4700 और 4800 तक गिरने की गुंजाइश दिखा रहे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि इन चार्टों का इतिहास कामयाबी से कहीं ज्यादा नाकामयाबी का रहा है।

अगर हम 15 सालों के औसत पी/ई अनुपात, वित्त वर्ष 2011-12 में कंपनियों का शुद्ध लाभ 18 फीसदी और इसके बाद 2012-13 में 20 फीसदी बढ़ने का अनुमान रखें, तब भी 14 के पी/ई अनुपात के लिए सेंसेक्स को 21,600 तक चले जाना चाहिए। वैसे, एक साल का समय बाजार को फिर से पटरी पर लाने और पी/ई अनुपात को वापस कम से कम 16 पर लाने के लिए पर्याप्त होता है। ऐसा हुआ तो सेंसेक्स को 24,600 पर होना चाहिए। यह सीधा-साधा गणित है और हर कोई इसे समझ सकता है।

मार्च के बीतने में अब बस दो हफ्ते बचे हैं। लोगबाग एडवांस टैक्स के नफे-नुकसान का समायोजन पहले ही कर चुके हैं। दरअसल, बहुत से लोग तो इस साल फायदे के लिए किल्ला रहे हैं। मार्च के आखिरी हफ्ते तक नई फंडिंग शुरू हो जाएगी और बी ग्रुप के स्टॉक ठसक से तेजी की राह पकड़ लेंगे। दो दिन बाद 17 मार्च को रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की चौथी तिमाही की मध्य-समीक्षा पेश करेगा। मेरा मानना है कि विशेषज्ञ जो भी कहें, वो इस बार ब्याज दरें नहीं बढ़ाएगा।

खुशी का स्रोत इसमें है कि हम जो है, उसे स्वीकार कर लें और जो नहीं है, उसके लिए संघर्ष करें। कौन कहता है कि संघर्ष में सुख नहीं मिलता! जीत गए तो धरती का सुख, शहीद हो गए तो स्वर्ग का सुख।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

2 Comments

  1. sir, i buy sesa goa @ 390 RS 900 share my mind is upset what i have to do

  2. कृष्णा जी, मन को शांत रखें। अभी सेसा गोवा मात्र 7.41 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। उसका टीटीएमं ईपीएस 36.67 रुपए है। आपने 390 रुपए पर सही भाव पर खरीदा है। होल्ड रखें। रकम डूबेगी नहीं। फायदा देकर ही जाएगी।

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