देश डूबता गया कर्ज में तो विकास कैसा!

निरर्थक बहसों में उलझाकर अवाम का ध्यान भटकाया जा रहा है और देश के भविष्य को खतरे में डाला जा रहा है। राजनीति में राम का घटाटोप तो आर्थिक मोर्चे पर जीडीपी के आकार का वितंडा। जीडीपी पांच ट्रिलियन डॉलर हो जाने का मतलब विकास नहीं होता। विकास का मतलब है देश की समृद्धि और औसत देशवासी की खुशहाली। क्या पिछले नौ सालों में देश समृद्ध हुआ है? देश पर मार्च 2014 में आंतरिक व बाहरी, दोनों को मिलाकर 58.6 लाख करोड़ रुपए का ऋण था। मार्च 2023 तक यह ऋण ढाई गुना से ज्यादा बढ़कर 155.6 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। नौ साल पहले देश का ऋण जीडीपी का 49.90% था। 2020-21 तक यह बढ़ते-बढ़ते जीडीपी का 83.75% हो गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुताबिक 2023-24 में थोड़ा घटकर यह 82.3% पर आया है। लेकिन आईएमएफ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि भारत का ऋण दो-चार साल में जीडीपी का 100% हो सकता है। उसके बाद तो स्थिति और बदतर हो सकती है। इस दौरान भारत को जलवायु संरक्षण और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए महंगे ऋण लेने पड़ेंगे क्योंकि तीनों वैश्विक रेटिंग एजेंसियों – फिच, एस एंड पी और मूडीज़ ने उसे निवेश ग्रेड की सबसे निचली रेटिंग दे रखी है। अब सोमवार का व्योम…

यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं। इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...

Existing Users Log In
   
New User Registration
Please indicate that you agree to the Terms of Service *
captcha
*Required field