कॉनकोर: कंटेनर की सुरक्षित सवारी

अपना देश लगता है उलटबांसियों का देश है। आयात निर्यात जमकर बढ़ रहा है। इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच निर्यात 54 फीसदी तो आयात 40 फीसदी बढ़ा है। इससे कंटेनरों को बंदरगाहों तक लाने-ले जाने वाली कंपनियों का धंधा भी बढ़ा है। लेकिन तमाम कार्गो कंपनियों के शेयर पिटे पड़े हैं। सरकारी कंपनी कंटेनर कॉरपोरेपशन (कॉनकोर) की हालत तो कुछ ज्यादा ही खराब है। धंधा बुरा नहीं है क्योंकि जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 21 फीसदी बढ़ा है। लेकिन शेयर बराबर पिट रहा है।

उसका शेयर बीएसई-200 सूचकांक में शामिल है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की अप्रैल में शुरुआत से लेकर अब तक कॉनकोर का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर (बीएसई – 531344, एनएसई – CONCOR) 29.5 फीसदी गिर चुका है, जबकि इस दौरान बीएसई-200 कुल 17 फीसदी ही गिरा था। कॉनकोर का शेयर अप्रैल में 1331.90 रुपए तक चला गया था। कल, 8 सितंबर को बीएसई में इसका बंद भाव 938.65 रुपए रहा है।

इस स्टॉक ने पिछले ही महीने 18 अगस्त को 909 रुपए पर 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर हासिल किया है। जाहिर है फिलहाल यह न्यूनतम स्तर के काफी करीब है। अगर यहां से यह खुदा न खास्ता अपने वास्तविक उच्चतम स्तर 1375 रुपए तक पहुंच जाए, जो इसने 12 अक्टूबर 2010 को हासिल किया था तो इसमें निवेश पर 46 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिल सकता है।

कंपनी सरकारी है। 129.98 करोड़ रुपए की इक्विटी का 63.09 फीसदी हिस्सा सरकार के पास है। लेकिन एफआईआई के पास भी इसके अच्छे-खासे शेयर हैं और वे अप्रैल के बाद से ही इसे बेच रहे हैं। अप्रैल के शुरू में एफआईआई के पास कॉनकोर के 27.22 फीसदी शेयर थे, जबकि जून के अंत तक 26.48 फीसदी पर आ गए। हो सकता है कि एफआईआई की बिकवाली अब भी जारी हो, जिसके चलते इसका स्टॉक पिट रहा हो।

इस साल जून तिमाही में कंपनी का घरेलू धंधा घट गया, लेकिन आयात-निर्यात का धंधा बढ़ गया तो कुल मिलाकर आय में 3.62 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और वो साल भर पहले के 915.89 करोड़ से बढ़कर 949.03 करोड़ रुपए हो गई। इसी दरम्यान शुद्ध लाभ 193.51 करोड़ से 21 फीसदी बढ़कर 234.15 करोड़ रुपए हो गया। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने 3828.12 करोड़ रुपए की आय पर 878.49 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका सालाना ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 67.39 रुपए था। अब जून तिमाही को मिलाकर उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 67.05 रुपए हो गया है।

इस आधार पर उसका शेयर अभी 13.99 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी की अग्रणी स्थिति को देखते हुए इसे सस्ता ही माना जाएगा क्योंकि अमूमन इसका पी/ई अनुपात 20 से ज्यादा ही रहता है। इसलिए इसमें लंबे समय, यानी कम से कम दो-तीन साल के नजरिए से निवेश करना ठीक रहेगा। सरकारी कंपनी होने के नाते इसमें सुरक्षा तो पूरी है ही। कंपनी कुल शेयधारकों की संख्या अभी 16,381 है जिसमें से 14,830 यानी 90.5 फीसदी छोटे निवेशक हैं।

इस समय कंपनी की आय का 75-80 फीसदी हिस्सा आयात-निर्यात से आ रहा है। हालांकि धंधा है तो जोखिन और परेशानियां भी हैं। जैसे, रेलवे अगर मालभाड़ा बढ़ाती है तो कॉनकोर जैसी कंपनियों का मार्जिन घट जाता है। दूसरे, निजी प्रतिस्पर्धा के बढ़ने से कॉनकोर के एकाधिकार में सेंध लग रही है। एक साल पहले देश के सबसे बड़े बंदरगाह जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट में कंटेनरों की आवाजाही में कॉनकोर की हिस्सेदारी 74 फीसदी थी। अब घटकर 60 फीसदी के आसपास आ गई है। फिर भी कॉनकोर लंबे समय के लिए सुरक्षित व लाभकारी निवेश है, इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए। इस कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात मात्र 0.01 है और नेटवर्थ पर रिटर्न 18.98 फीसदी है।

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