पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति ने टाटा स्टील को साफ तौर पर कहा है कि झारखंड के कोयला समृद्ध क्षेत्र में प्रस्तावित उसकी इस्पात संयंत्र परियोजना को तब तक मंजूरी नहीं दी जाएगी जब तक उसे कोयला मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल जाती।
ताप बिजली व कोयला खदान परियोजना के पर्यावरण प्रभाव को परखने के लिए बनी विशेषज्ञ आकलन समिति ने हाल ही में एक बैठक में यह शर्त रखी है कि टाटा समूह की कंपनी को निजी इस्तेमाल के दो कोयला आधारित 80-80 मेगावॉट के ताप बिजली संयंत्रों के लिए कोयला मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी। यह परियोजना झारखंड के रामगढ़ में लगाने का प्रस्ताव है।
टाटा स्टील ने 30 एकड़ क्षेत्र में यह परियोजना लगाने का प्रस्ताव किया है। इस क्षेत्र में 10.5 एकड़ वन-भूमि भी शामिल है। कंपनी को अपने इस्पात संयंत्रों की बिजली की जरूरतें पूरी करने के लिए ये संयंत्र लगाने हैं।