क्या भारत चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को खत्म करके सरप्लस की स्थिति हासिल कर सकता है? धारणा फैलाई जाती है कि यकीनन ऐसा संभव है। हाल ही में भारत ने यही दिखाने के लिए चीन से हो रहे कंप्यूटर उत्पादों के आयात पर बंदिशें लगा दी थीं। लेकिन तुरंत उन्हें उठा लिया गया। लेकिन असल में भारत-चीन के बीच अभी जो व्यापारिक संतुलन है, उसे दुरुस्त करना न तो दो-चार साल में संभव है और न ही लम्बे समय में। चीन ने पिछले डेढ़-दो दशक में जो आर्थिक प्रगति हासिल की है, स्वास्थ्य व शिक्षा को जितनी तवज्जो दी है, लघु से लेकर बड़े उद्योगों को जिस तरह बढ़ाया है और विदेशी पूंजी को जिस तरह साधा है, उसमें भारत के लिए निकट भविष्य में उसे मात दे पाना संभव नहीं है। साथ ही चीन ने अपने यहां हर मोर्चे पर राष्ट्रीय उद्यमों को दमदार बनाया है। उसके यहां गूगल जैसे सर्च इंजिन से लेकर ट्विटर व ह्वॉट्स-एप्प जैसे मैसेजिंग मंच भी अपने हैं। यहां तक कि सालों-साल से उसका पेमेंट सिस्टम भी अपना ही है। अब बुधवार की बुद्धि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...