राष्ट्रीय उद्यमों के बल पर ही बढ़ा है चीन

क्या भारत चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को खत्म करके सरप्लस की स्थिति हासिल कर सकता है? धारणा फैलाई जाती है कि यकीनन ऐसा संभव है। हाल ही में भारत ने यही दिखाने के लिए चीन से हो रहे कंप्यूटर उत्पादों के आयात पर बंदिशें लगा दी थीं। लेकिन तुरंत उन्हें उठा लिया गया। लेकिन असल में भारत-चीन के बीच अभी जो व्यापारिक संतुलन है, उसे दुरुस्त करना न तो दो-चार साल में संभव है और न ही लम्बे समय में। चीन ने पिछले डेढ़-दो दशक में जो आर्थिक प्रगति हासिल की है, स्वास्थ्य व शिक्षा को जितनी तवज्जो दी है, लघु से लेकर बड़े उद्योगों को जिस तरह बढ़ाया है और विदेशी पूंजी को जिस तरह साधा है, उसमें भारत के लिए निकट भविष्य में उसे मात दे पाना संभव नहीं है। साथ ही चीन ने अपने यहां हर मोर्चे पर राष्ट्रीय उद्यमों को दमदार बनाया है। उसके यहां गूगल जैसे सर्च इंजिन से लेकर ट्विटर व ह्वॉट्स-एप्प जैसे मैसेजिंग मंच भी अपने हैं। यहां तक कि सालों-साल से उसका पेमेंट सिस्टम भी अपना ही है। अब बुधवार की बुद्धि…

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