केंद्र सरकार अपने आर्थिक खुफिया तंत्र को और भी चौकस बनाने में जुट गई है। इस सिलसिले में सेंट्रल इकनॉमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (सीईआईबी) की भूमिका, कामकाज व सांगठनिक ढांचे की समीक्षा के लिए बनाई गई समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सौंप दी। इस समिति का गठन मार्च 2011 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व सदस्य एस एस खान की अध्यक्षता में किया गया था। समिति ने करीब तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
बता दें कि सीईआईबी वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत काम करनेवाली शीर्ष आर्थिक जासूसी संस्था है। यह अन्य वित्तीय व आर्थिक जांच एजेंसियों – डायरेक्टरेट जनरल ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, प्रवर्तन निदेशालय (डायरेक्टरेट ऑफ एनफोर्समेंट), डायरेक्टरेट जनरल ऑफ एंटी-इवेजन, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ इनकम टैक्स (इनवेस्टीगेशन) और नारकोटिक्स कंटोल ब्यूरो तक के बीच समन्वय का काम करती है। लेकिन वित्त मंत्रालय के तहत काम करनेवाली अन्य वित्तीय जासूसी संस्था फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू-आईएनडी) पूरी तरह इससे स्वतंत्र और स्वायत्त है।
समिति ने सीईआईबी और एफआईयू के बीच सांगठनिक रिश्तों पर भी सुझाव दिए हैं। समिति का कहना है कि ब्यूरो और अन्य नियामक एजेंसियों के बीच पहिए और धुरी जैसा सहयोगी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में संगठित कर-चोरी जैसे बढ़ते आर्थिक अपराधों की रोकथाम पर खास गौर किया गया है। साथ ही इसमें केंद्र और राज्यों के स्तर पर सक्रिय एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने और आर्थिक अपराधों का साझा डाटाबैंक तैयार करने के उपाय सुझाए गए हैं। मुख्य बात यह है कि सीईआईबी केंद्रीय एजेंसी होगी, जिससे अन्य एजेंसियां कसकर जुड़ी रहेंगी। लेकिन एफआईयू और ब्यूरो के बीच संबंधों को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।
गौरतलब है कि इस समय देश में आर्थिक जासूसी का दो-स्तरीय तंत्र है। सबसे ऊपर इकनॉमिक इंटेलिजेंस काउसिंल है। इस काउंसिल के अध्यक्ष वित्त मंत्री होते हैं, जबकि बाकी 18 सदस्यों में रिजर्व बैंक गवर्नर, सेबी चेयरमैन, सीबीडीटी व सीबीईसी के प्रमुख, वित्त, राजस्व व कंपनी मामलात के सचिव समेत आर्थिक व वित्तीय कामकाज के जुड़ा पूरा सरकारी अमला शामिल है। हां, बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए का कोई प्रतिनिधि नहीं होता। सीबीआई व आईबी के निदेशक और विदेश व्यापार महानिदेशक परिषद में तीन विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में रखे गए हैं। इस परिषद के नीचे 18 क्षेत्रीय इकनॉमिक इंटेलिजेंस समितियां हैं जो देश के तमाम हिस्सों को कवर करती हैं। इन समितियों के संयोजक आमतौर पर कस्टम व इनकम टैक्स से जुड़े चीफ कमिश्नर या डायरेक्टर जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं।