मोदी सरकार ने शपथ लेने के हफ्ते भर में ही ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के नारे का नमूना दिखाते हुए पिछली यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए मंत्रियों के तीस समूह खत्म कर दिए थे। वे समूह विभिन्न मंत्रालयों में आपसी समन्वय के लिए बनाए गए थे। लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को खुश करने की बात आई तो सरकार ने अमेरिका के त्वरित निवेश प्रस्तावों और इनके कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों का समाधान करने के लिए औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में करीब दर्जन भर मंत्रालयों की अंतर-मंत्रालय समिति का गठन कर डाला।
इस समिति में पर्यावरण, बिजली, सड़क परिवहन, रेल, सूचना प्रौद्योगिकी, प्रतिरक्षा, दूरसंचार, विदेशी मामलात, रसायन व उर्वरक, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण, नागर विमानन और वाणिज्य जैसे तमाम मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को मिलाकर संयुक्त सचिव या उसके ऊपर के 16 बड़े अधिकारी रखे गए हैं।
समिति के विचारणीय विषयों (टीओआर) में अमेरिकी कंपनियों को भारत में त्वरित निवेश में सहायता देना, निवेश प्रस्तावों को लागू करने में अमेरिकी निवेशकों के सामने आ रही बाधाओं की पहचान करके उन्हें सभी एजेंसियों और संबंधित राज्य सरकारों से विचार-विमर्श करके दूर करना और अमेरिकी निवेश में सहायता देने के लिए अमेरिकी कंपनियों, भारत सरकार व राज्य सरकारों के मंत्रालयों व विभागों से बातचीत करना शामिल है।
समिति अमेरिकी कंपनियों के हितों की चिंता माने जाले वाले क्षेत्रों पर गौर करके उनका समाधान करेगी। साथ ही वह अमेरिका से विभिन्न क्षेत्रों में त्वरित निवेश और निवेश के अवसरों तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का पूरा उपयोग सुनिश्चित करने की प्रक्रिया पर नजदीकी निगरानी रखेगी और इसके लिए तालमेल स्थापित करेगी।
आपको याद ही होगा कि इस बार 26 जनवरी 2015 को गणतंत्र दिवस के मौके पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि होंगे। इसे केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपनी बड़ी राजनयिक सफलता बता रही है। अमेरिकी निवेश को खींचना भी वह ‘मेक इन इंडिया’ के नारे पर अमल के लिए जरूरी मानती है। लेकिन हकीकत यही है कि ठहराव की शिकार अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए खुद ओबामा पर भारी दबाव है और वे भारत जैसे देशों को इसके लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
इसी क्रम में बैंक ऑफ अमेरिका के चेयरमैन व सीईओ ब्रायन मोइनीहान ने बुधवार को दिल्ली में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान मोइनीहान ने कहा कि उन्हें इस बात की उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी बताया कि बैंक ऑफ अमेरिका भारत में अपनी बैंकिंग गतिविधियां बढ़ाएगा और पूंजी बाजार में, खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर व ऊर्जा के क्षेत्र में, निवेश के लिए अपनी मौजूदगी बढ़ाएगा।