केंद्र सरकार ने अपनी प्रमुख योजना राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून के तहत करोड़ों रुपए की कथित वित्तीय अनियमितता मामले में मध्य प्रदेश सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने राज्य सरकार को पत्र भेजा है। इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत मजदूरी वितरण में लगाए गए कई आरोपों के बारे में जवाब मांगा है।
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार के जवाब के आधार पर ही केंद्र आगे जांच का आदेश देने पर विचार कर सकता है। कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचपी) ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से संपर्क कर मनरेगा में कथित भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत की थी। उसके बाद मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। मंत्रालय मनरेगा पर क्रियान्वयन की नोडल एजेंसी है।
मंत्रालय ने कथित वित्तीय अनियमितता का पता लगाने के लिए राज्य के चुनिंदा जिलों में जांचकर्ताओं को भी भेजने का फैसला किया है। जांच दल दो महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को देगा। सूत्रों के मुताबिक सूचना के अधिकार कानून के तहत गैर-सरकारी संगठनों और अन्य समूह को मनरेगा के बारे जो जवाब मिला है, उसमें कुछ आईएएस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘कार्यक्रम के क्रियान्वयन के संबंध में कई शिकायतें मिली हैं। आधिकारिक दस्तावेजों से वरिष्ठ अधिकारियों के इसमें शामिल होने का संकेत मिलता है। हमने स्थिति का पता लगाने और योजना के बेहतर तरीके से क्रियान्वयन के लिए उनसे जवाब मांगा है।’’ (प्रेट्र)