टीवी चैनल पर संपादक बोले – निवेशकों को ग्रोथ वाले सेक्टर की उन कंपनियों में धन लगाना चाहिए जिनका पांच साल का ट्रैक-रिकॉर्ड अच्छा हो। महोदय, हवाबाज़ी के बजाय एक-दो कंपनियां ही बता देते। पिछले ट्रैक-रिकॉर्ड को तो शेयर का भाव सोख चुका है। आगे का क्या? ऐसे ही एक फेसबुकिया मित्र ने लॉन्ग टर्म के लिए 19 कंपनियों के नाम गिना डाले, कर्ज के बोझ से जिनके शेयर डूबे हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

देश में उपभोक्तावाद बढ़ने का शोर है। मगर, सच यह है कि दो-चार प्रतिशत को छोड़ दें तो बाकी भारतीय बड़े किफायती हैं। थोड़े में काम चला लेते हैं। हमारी खपत का स्तर दुनिया के तमाम देशों की तुलना में बहुत कम है। लेकिन थोड़ा देखा-देखी और सांस्कृतिक बदलावों के चलते हमारी खपत का स्तर उठने लगा है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था और कंपनियों के लिए संभावनाएं निखरती जा रही है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

बाज़ार फिलहाल ढलान पर है। ठीक पिछले एक साल में बीएसई सेंसेक्स 13.04% गिरा है, जबकि स्मॉल कैप सूचकांक 4.66% ही गिरा है। सेंसेक्स 18.15 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि स्मॉल कैप सूचकांक 56.25 के पी/ई पर। ऐसे में बाज़ार में आगे छोटी कंपनियों के शेयरों का बुलबुला फट सकता है। इसलिए सावधान रहने की ज़रूरत है। पर, अच्छी छोटी कंपनियों के आने का क्रम बना रहता है। ऐसी ही एक अच्छी कंपनी…औरऔर भी

मंगलम ड्रग्स में हमने निवेश की पहली सलाह पांच साल पहले जब 22 नवंबर 2010 को दी थी, तब उसका शेयर 20 रुपए पर था। 1 जनवरी 2015 तक वो वहीं अड़ा रहा। लेकिन वहां से उठा तो 8 दिसंबर तक 20 से सीधे 441 तक पहुंच गया। फिर गिरा तो महीने भर में 261 तक पहुंच गया। फिर भी 2015 में 1205% का सर्वाधिक रिटर्न इसी शेयर ने दिया है। अब आज का तथास्तु…और भीऔर भी

दुनिया-जहान में कुछ भी स्थाई या शाश्वत नहीं। बदलाव ही शाश्वत सच है। हमें दिखे या न दिखे, भौगोलिक परिवेश के साथ ही हमारे निजी व सामाजिक जीवन में बराबर परिवर्तन होते रहते हैं। बदलाव के साथ चलने वाली कंपनियों का ही धंधा निरंतर बढ़ता है। इधर दुनिया डिजिटल होती जा रही है। ‘डिजिटल इंडिया’ पर आगे कुछ सालों में 4.5 लाख करोड़ रुपए खर्च होने जा रहे हैं। आज तथास्तु में डिजिटल लहर पर सवार कंपनी…औरऔर भी

शेयर खरीदते वक्त हम अक्सर जांचते-पूछते हैं कि वो आखिर कितना उठ सकता है? मगर, यह सवाल गलत है क्योंकि कोई ठीकठीक नहीं जानता कि वो कहां तक जाएगा। हम भविष्य नहीं जानते। लेकिन हम चाहें तो अतीत की गहरी तहकीकात ज़रूर कर सकते हैं। इसलिए सही सवाल यह है कि क्या वो शेयर पर्याप्त गिर चुका है। लेकिन साथ ही याद रखें कि हर गिरा हुआ शेयर सस्ता नहीं होता। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर खरीदना साबुन-तेल या जीन्स खरीदने जैसा नहीं है कि जाना-पहचाना व आजमाया ब्रांड डिस्काउंट देख कर खरीद लिया। यकीनन यहां भी नाम की अपनी भूमिका है। लेकिन केवल नाम ही खुद में पर्याप्त नहीं है। हमें देखना पड़ता है कि कंपनी अपने शेयरधारकों के लिए मूल्य पैदा कर रही है या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि खाली हवाबाज़ी करके प्रवर्तकों की जेब भरने का इंतज़ाम किया जा रहा है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

ठीक पांच साल पहले हमने इसी जगह नवीन फ्लूवोरीन को छांटकर पेश किया था। तब उसका शेयर 260 के आसपास था और यह कॉलम पेड नहीं, खुला था। हमने साफ-साफ कहा था कि वो तलहटी में पड़ा है। वही शेयर 18 नवंबर को 2010 तक जाने के बाद फिलहाल 1715 पर है। पांच साल में 569.6% रिटर्न। यही है सही भाव और सही वक्त पर पुख्ता कंपनियों में निवेश का कमाल। तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

4 दिसंबर 2014 से 4 दिसंबर 2015 के बीच बीएसई-500 सूचकांक 5.5% गिरा है। लेकिन इन 500 कंपनियों में से 130 ऐसी हैं जिन्होंने 15% से ज्यादा रिटर्न दिया है। सबसे ज्यादा 296.7% रिटर्न राजेश एक्सपोर्ट्स ने दिया है। साफ है कि गिरते बाज़ार में भी चयन सही हो तो कमाने के भरपूर मौके हैं। लेकिन हर चमकनेवाली चीज़ सोना नहीं होती क्योंकि राजेश एक्सपोर्ट्स से भी मजबूत कंपनी उसी के उद्योग में है। आज यही कंपनी…औरऔर भी

वॉरेन बफेट कायदे से समझने से पहले कंपनी को हाथ नहीं लगाते। भरपूर रिसर्च के बाद उन्होंने 2011 में आईबीएम का शेयर खरीदा। तब वो 170 डॉलर पर था। अभी 138 डॉलर पर है। जिन चार सालों में एस एंड पी 500 सूचकांक 1285 से 62.5% बढ़कर 2088 पर पहुंच गया, उसी दौरान आईबीएम से बफेट को 18.8% का घाटा! फिर भी बफेट को अफसोस नहीं क्योंकि उन्होंने सुरक्षित मार्जिन पर खरीदा था। अब आज की कंपनी।औरऔर भी