निवेशक संरक्षण फंड में 2001-02 से 2021-22 तक के बीस साल में कंपनियां 29,383.39 करोड़ रुपए डाल चुकी हैं। यह धन हर साल बढ़ता रहता है क्योंकि शेयरधारकों द्वारा न लिया लाभांश वगैरह जुड़ता रहता है। सरकार ने इस फंड की देखरेख के लिए सितंबर 2016 से एक विचित्र प्राधिकरण बना दिया। अगस्त 2022 में आरटीआई आवेदन से जवाब मिला कि वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक इस फंड में 18,433 करोड़ रुपए के साथ ही कंपनियों के 53 लाख शेयर जमा थे। प्राधिकरण की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में 5262.25 करोड़ रुपए और जुड़ गए, जबकि उसका कुल खर्च मात्र 6.30 करोड़ रुपए था। उस साल प्राधिकरण के पास कंपनियों के 105.52 करोड़ शेयर भी थे, जिस पर उसे 446.22 करोड़ रुपए का लाभांश मिला था। उसके बाद 30 नवंबर 2022 तक प्राधिकरण को 5685.25 करोड़ रुपए और मिले। उसके पास शेयरों की संख्या बढ़कर 116.88 करोड़ हो गई। प्राधिकरण के पास जितना धन जमा और हर साल आ रहा है, उससे वह देश के सभी 766 जिला मुख्यालयों में शानदार निवेशक शिक्षा केंद्र बना और चला सकता है। लेकिन तब उसमें ऊपर से नीचे तक बैठे नौकरशाहों की शहंशाही खत्म और जवाबदेही बढ़ जाएगी। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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